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Love your parents they are your living God

👨‍🏫🌺👨‍🏫🌺👨‍🏫🌺👨‍🏫 *👉🏿बुजुर्गों को समय चाहिए* *छोटे ने कहा," भैया, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया ...

February 21, 2020

Love your parents they are your living God

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*👉🏿बुजुर्गों को समय चाहिए*

*छोटे ने कहा," भैया, दादी कई बार कह चुकी हैं कभी मुझे भी अपने साथ होटल ले जाया करो." गौरव बोला, " ले तो जायें पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा.* याद है पिछली बार जब हम तीनों ने डिनर लिया था, तब सोलह सौ का बिल आया था. हमारे पास अब इतने पैसे कहाँ बचे हैं." पिंकी ने बताया," मेरे पास पाकेटमनी के कुछ पैसे बचे हुए हैं." *तीनों ने मिलकर तय किया कि इस बार दादी को भी लेकर चलेंगे, पर इस बार मँहगी पनीर की सब्जी की जगह मिक्सवैज मँगवायेंगे और आइसक्रीम भी नहीं खायेंगे.*

छोटू, गौरव और पिंकी तीनों दादी के कमरे में गये और बोले," *दादी इस' संडे को लंच बाहर लेंगे, चलोगी हमारे साथ." दादी ने खुश होकर कहा," तुम ले चलोगे अपने साथ." " हाँ दादी " .*.

संडे को दादी सुबह से ही बहुत खुश थी. *आज उन्होंने अपना सबसे बढिया वाला सूट पहना, हल्का सा मेकअप किया, बालों को एक नये ढंग से बाँधा.* आँखों पर सुनहरे फ्रेमवाला नया चश्मा लगाया. यह चश्मा उनका मँझला बेटा बनवाकर दे गया था जब वह पिछली बार लंदन से आया था. किन्तु वह उसे पहनती नहीं थी, कहती थी, इतना सुन्दर फ्रेम है, पहनूँगी तो पुराना हो जायेगा. *आज दादी शीशे में खुद को अलग अलग एंगिल से कई बार देख चुकी थी और संतुष्ट थी.*

बच्चे दादी को बुलाने आये तो पिंकी बोली," *अरे वाह दादी, आज तो आप बडी क्यूट लग रही हैं".* गौरव ने कहा," आज तो दादी ने गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा पहना है. क्या बात है दादी किसी ब्यायफ्रैंड को भी बुला रखा है क्या." दादी शर्माकर बोली, " धत. "

होटल में सैंटर की टेबल पर चारो बैठ गए. *थोडी देर बाद वेटर आया, बोला, " आर्डर प्लीज ".* अभी गौरव बोलने ही वाला था कि दादी बोली," आज आर्डर मैं करूँगी क्योंकि आज की स्पेशल गैस्ट मैं हूँ." *दादी ने लिखवाया__ दालमखनी, कढाईपनीर, मलाईकोफ्ता, रायता वैजेटेबिल वाला, सलाद, पापड, नान बटरवाली और मिस्सी रोटी. हाँ खाने से पहले चार सूप भी.*

तीनों बच्चे एकदूसरे का मुँह देख रहे थे. *थोडी देरबाद खाना टेबल पर लग गया. खाना टेस्टी था, जब सब खा चुके तो वेटर फिर आया, "डेजर्ट में कुछ सर". दादी ने कहा,  " हाँ चार कप आइसक्रीम ".* तीनों बच्चों की हालत खराब, अब क्या होगा, दादी को मना भी नहीं कर सकते पहली बार आईं हैं.

बिल आया, इससे पहले गौरव उसकी तरफ हाथ बढाता, *बिल दादी ने उठा लिया और कहा," आज का पेमेंट मैं करूँगी. बच्चों मुझे तुम्हारे पर्स की नहीं, तुम्हारे समय की आवश्यकता है, तुम्हारी कंपनी की आवश्यकता है.* मैं पूरा दिन अपने कमरे में अकेली पडे पडे बोर हो जाती हूँ. टी.वी. भी कितना देखूँ, मोबाईल पर भी चैटिंग कितना करूँ. बोलो बच्चों क्या अपना थोडा सा समय मुझे दोगे," कहते कहते दादी की आवाज भर्रा गई. 

पिंकी अपनी चेयर से उठी, *उसने दादी को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर दादी के गालों पर किस करते हुए बोली," मेरी प्यारी दादी जरूर." गौरव ने कहा, " यस दादी, हम प्रामिस करते हैं कि रोज आपके पास बैठा करेंगे* और तय रहा कि हर महीने के सैकंड संडे को लंच या डिनर के लिए बाहर आया करेंगे और पिक्चर भी देखा करेंगे."

*दादी के होठों पर 1000 वाट की मुस्कुराहट तैर गई, आँखों में फ्लैशलाइट सी चमक आ गई और चेहरे की झुर्रियाँ खुशी के कारण नृत्य सा करती महसूस होने लगीं...-*

बूढ़े मां बाप रूई के गटठर समान होते है, शुरू में उनका बोझ नहीं महसूस होता, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ रुई भीग कर बोझिल होने लगती है. *बुजुर्ग समय चाहते हैं पैसा नही, पैसा तो उन्होंने सारी जिंदगी आपके लिए कमाया-की बुढ़ापे में आप उन्हें समय देंगे।*

Love your parents they are your living God


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February 21, 2020

मानवीय ऊर्जा और कृत्रिम ऊर्जा

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ऊर्जा के मुख्य रूप से दो स्रोत माने जाते हैं 1. जैविक 2. कृत्रिम। जैविक ऊर्जा में मनुष्य और पशु को सम्मिलित किया जाता है। कृत्रिम ऊर्जा में डीजल, पेट्रोल, बिजली, केरोसीन, गैस और कोयला को मानते है। हवा को भी आंशिक रूप से कृत्रिम ऊर्जा में माना जा सकता है। जैविक ऊर्जा भी दो प्रकार की होती है। 1. मानवीय 2. पशु। इन दोनो में यह अंतर है कि मनुष्य मानव समाज का अंग है और पशु मनुष्य का सहायक। पषुओं को कोई मौलिक अधिकार नहीं होता। जबकि मनुष्यों को होते हैं, इसलिये सारी व्यवस्था का केन्द्र बिन्दु मनुष्य ही होता है।

मनुष्य भी दो प्रकार के होते हैं 1. श्रमजीवी 2. बुद्धिजीवी। श्रमजीवी मनुष्य अपनी स्वयं की मानवीय ऊर्जा का उपयोग करके अपना भरण पोषण करता है, और बुद्धिजीवी दूसरों की मानवीय ऊर्जा का अपने भरण पोषण में अधिक उपयोग करता है। इस तरह एक व्यक्ति अपना श्रम बेचता है जबकि दूसरा श्रम खरीदकर उसका लाभ उठाता है संपूर्ण सामाजिक तथा राजनैतिक व्यवस्था में श्रम खरीदने वालो का विशेष प्रभाव रहता है इसलिये श्रम खरीदने वाले ऐसे अनेक प्रयत्न करते रहते हैं जिससे मानवीय श्रम की मांग और मूल्य न बढे़।

बहुत प्राचीन समय में श्रम शोषण के उददेश्य से ही बुद्धिजीवियों ने जन्म के अनुसार वर्ण व्यवस्था को अनिवार्य किया और अपनी श्रेष्ठता आरक्षित कर ली। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था ने श्रम शोषण के लिये कृत्रिम ऊर्जा के अधिक उपयोग को आधार बनाया। नई नई मशीनों का उपयोग बढा और कृत्रिम ऊर्जा को सस्ता रखने के लिये मानव अथवा पशु द्वारा उत्पादित एवं उपभोग की वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगा दिये गये। इस समस्या को दृष्टिगत रखते हुये अलग अलग समय में महापुरूषों ने अलग अलग प्रयोग किये। स्वामी दयानंद ने जन्मना जाति व्यवस्था को बदलकर कर कर्म आधारित दिशा देने की कोशिश की जिसे स्वतंत्रता के बाद बुद्धिजीवियों ने विफल कर दिया। पश्चिमी देशों में मार्क्स ने एक नया प्रयोग किया जिसके अनुसार मशीनों के प्रयोग से प्राप्त सारा धन आम जनता के बीच वितरित करने की कोशिश हुई। एक अन्य महापुरूष महात्मा गांधी ने प्रयत्न किया कि मशीनों का प्रयोग कम से कम किया जाये और मानवीय श्रम को अधिक से अधिक  महत्वपूर्ण बनाया जाये। मार्क्स का सिद्धांत इसलिये असफल हुआ क्योंकि मशीनों से प्राप्त सारा धन आम नागरिको में न बंटकर राष्ट्रीय सम्पत्ति के रूप में संग्रहित हो गया, जिसमे सरकार ही सब कुछ हो गई। गांधी का विचार पूरी तरह छोड दिया गया, क्योंकि बुद्धिजीवियों को यह विचार पसंद नहीं था, साथ ही पूंजीवादी देशों से भारत को आर्थिक आधार पर प्रतियोगिता भी करना आवश्यक था। वैसे भी पूरी दुनियां में पूंजीवाद सर्वमान्य सिद्धांत के रूप में स्थापित हो रहा है इसलिये मार्क्स और गांधी के प्रयत्नों पर कोई विचार उचित नहीं है। पूंजीवाद, श्रम शोषण की असीम स्वतंत्रता का पक्षधर है इसलिये यह संकट पूरी दुनियां के लिये स्थापित है कि मानवीय श्रम को बुद्धिजीवियों और पूंजीपतियों के शोषण से कैसे बचाया जाये। भारत इस समस्या से अधिक प्रभावित है, क्योंकि भारत श्रम बहुल देश है और पश्चिम श्रम अभाव देश। श्रम अभाव देशों में श्रम शोषण की समस्या कोई महत्व नहीं रखती है जबकि भारत में बहुत महत्व रखती है।

हमें निर्यात भी बढाना है और देश का उत्पादन भी बढाना है, इसलिये हम मशीनों का उपयोग कम नहीं कर सकते किन्तु हमें श्रम के साथ न्याय भी करना होगा। इसके लिये हमें पूंजीवाद का अंधानुकरण न करके नई अर्थव्यवस्था बनानी होगी अर्थात कृत्रिम ऊर्जा को इतना अधिक मंहगा कर दिया जाये कि समाज में श्रम की मांग बढे और श्रम का मूल्य भी बढे तथा साथ साथ देश का उत्पादन भी बढे। यदि कृृत्रिम ऊर्जा को मंहगा कर दिया जायेगा तो हमारी बेकार पडी श्रम शक्ति भी उत्पादन में लग सकेगी तथा अनावश्यक उपयोग में खर्च हो रही कृत्रिम ऊर्जा भी उत्पादन में लग सकेगी। इसका एक लाभ यह भी होगा कि गरीब, ग्रामीण, श्रमजीवी के उत्पादन और उपभोग की वस्तुयें कर मुक्त हो सकेंगी। इससे प्राप्त अतिरिक्त धन समाज में समान रूप से वितरित भी किया जा सकता है तथा विदेशों से निर्यात भी प्रभावित नहीं होगा क्योंकि हम निर्यात में आवश्यक छूट दे सकेगे। विदेशों से डीजल, पेट्रोल का आयात कम हो जायेगा और सौर उर्जा का उपयोग बढ जायेगा। पर्यावरण प्रदूषण कम हो जायेगा तथा अन्य अनेक लाभ भी होगें किन्तु सबसे बडा लाभ श्रम के साथ न्याय को माना जाना चाहिये।

मैं जानता हूॅ कि वर्तमान पूंजीवाद ऐसी व्यवस्था को स्वीकार नहीं करेगा। आर्थिक असमानता और श्रम शोषण के आधार पर ही वर्तमान में पूंजीवाद की दीवार बनी हुई है। यदि कृत्रिम ऊर्जा की मूल्य वृद्धि हो गई तो पूंजीवादी दीवार की जडे़ खोखली हो जायेगी। पूंजीवाद और पूंजीवाद का लाभ उठा रहे लोग कृत्रिम ऊर्जा का मूल्य कभी नहीं बढने देंगे। किन्तु मानवीय आधार पर हम सबको आवश्यक रूप से विचार करना चाहिये कि श्रम शोषण भले ही अपराध न हो किन्तु अमानवीय भी है और अनैतिक भी। मेरा आप सब से निवेदन है कि हम अपने स्वार्थ से थोडा उपर उठकर इस सुझाव पर सोचने का प्रयास करे कि श्रमजीवियों की और पशुओं की कीमत पर हमारा विकास कितना उचित है। हम कृत्रिम ऊर्जा मूल्य वृद्धि का समर्थन करके इस कलंक से बच सकते हैं।
January 21, 2020

Innovating for India Impacting the WorldBorge BrendeBorge Brende

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अगर 19वीं सदी को औद्योगिकीकरण के उदय और 20वीं सदी को बाजार आधारित अर्थव्यवस्था के विस्तार एवं ग्लोबलाइजेशन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, तो 21वीं सदी को परिभाषित करने वाली विशेषता क्या हो सकती है?  यह विशेषता है- प्रभावकारी और व्यापक बदलाव के साथ unipolarity से multipolarity की ओर शिफ्ट होना। 

टेक्नोलॉजी में तरह-तरह के बदलाव के चलते चौथी औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में अर्थव्यवस्था की प्रकृति और संरचना में बुनियादी परिवर्तन देखने को मिले हैं। उत्पादन के स्तर, स्थान और संरचना का एक ऐसा रिडिस्ट्रिब्यूशन हो रहा है, जिससे हमारे संगठन पहले से कहीं अधिक वैश्विक हुए हैं और आपस में जुड़े हैं। मौजूदा राजनीतिक ढांचों और संस्थानों में भरोसा कमजोर पड़ने से मानव समाज पहले से अधिक विरोधाभासी और अलग-थलग हुआ है। पर्यावरण संबंधी चुनौतियां और जलवायु संकट को लेकर पहले कभी इतनी चर्चा नहीं हुई थी। संक्षेप में कहें, तो इस नाजुक विश्व- व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए एक सुसंगत नेतृत्व व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही है। 

एक ऐसे समय में जब गंभीर geopolitical और ecological चुनौतियां सामने हैं, व्यापार संबंधी तनाव बढ़ने के साथ नीतिगत अनिश्चितता ने investments और business confidence में मंदी लाने का काम किया है। 2019 में global GDP growth के डाउनग्रेड होकर 3.2% के स्तर पर रहने, अगले कुछ वर्षों तक उसमें मामूली सुधार के अनुमान और मौजूदा multilateral rules-based trade system की विश्वसनीयता घटने से स्थिति चिंताजनक नजर आ रही है। दरअसल, यह लगभग तय माना जा रहा है कि ग्लोबल ग्रोथ, अनुमान से कम से कम एक प्रतिशत नीचे रह जाएगा। ऐसे में गिरावट के इस आंकड़े की तुलना सन् 2000 की शुरुआत वाली वैश्विक मंदी से की जा सकती है।

एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी ग्लोबल प्रोफाइल के साथ भारत अवसर को अपने हाथों में लेने की ओर बढ़ रहा है। 

इसके विपरीत, दक्षिण एशिया के लिए इकोनॉमिक आउटलुक मजबूत बना हुआ है। पिछली आधी सदी में, उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं ग्लोबल आउटपुट में अपने योगदान को पहले के करीब 15% के स्तर से बढ़ाकर 50% से भी आगे ले गई हैं। मजबूत घरेलू मांग, निजी खपत और निवेश के सहारे दक्षिण एशिया की विकास दर 7% रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था की उसकी यह ताकत न सिर्फ वैश्विक मंदी के प्रभाव को कम कर सकती है, बल्कि वैश्विक विकास को आगे ले जाने के लिए भी गति प्रदान कर सकती है। 

यहां इस क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत के इकोनॉमिक आउटलुक का विशेष उल्लेख जरूरी है। अगले कुछ वर्षों में एक बार फिर 7.5% जीडीपी ग्रोथ के अनुमान के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भारत की वृद्धि प्रभावशाली रही है, जो विश्व के लिए ध्यान देने वाली बात है। अगले आधे दशक में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और अगले डेढ़ दशकों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने विजन को साकार करने के लिए भारत के पास मंच तैयार है। इस तरह से वह वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी ग्लोबल प्रोफाइल के साथ भारत इस अवसर को अपने हाथों में लेने की ओर बढ़ रहा है। स्वैच्छिक और महत्वाकांक्षी रिन्यूएबल पावर कैपेसिटी टारगेट्स के साथ रिन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत की प्रतिबद्धता, पेरिस जलवायु समझौते की चर्चा में उसकी नेतृत्वकारी भूमिका और इंटरनेशनल सोलर एलायंस, यह सब बताता है कि भारत पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नेतृत्व देने में सक्षम है।

भारत के पास एक यूनिक एडवांटेज यह भी है कि उसकी आधी आबादी वर्किंग एज ग्रुप की है। इस वर्ष के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52वें स्थान पर पहुंचकर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिसने लगातार नौ वर्षों तक अपनी रैंक में सुधार किया है।

भारत ने हाल के अपने चंद्र अभियान और मिसाइल से लो-ऑर्बिट सैटेलाइट को मार गिराने में दुनिया का चौथा देश बनने जैसी सफलताएं अर्जित कर space exploration के मामले में अपने वैश्विक कद का भी विस्तार किया है। आज वैश्विक मानवीय प्रयासों और विकास की पहल में भारत पहले से कहीं अधिक सक्रिय है। इनमें अफगानिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, अश्गाबात एग्रीमेंट, चाबहार पोर्ट और भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाइवे जैसे प्रोजेक्ट गिनाए जा सकते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत-अफ्रीका सहकारी हित के लिए अपना मजबूत विजन पेश किया है। इसके साथ ही शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन, एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक, इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका डायलॉग फोरम और ब्रिक्स ग्रुप जैसे अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों में भारत की विस्तृत भागीदारी उसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को जाहिर करता है। यह अलग-अलग वैश्विक पहल और मंचों पर सक्रिय रहने की भारत की इच्छा को भी दर्शाता है। 

भारत के पास एक यूनिक एडवांटेज यह भी है कि उसकी आधी आबादी वर्किंग एज ग्रुप की है। इस वर्ष के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 52वें स्थान पर पहुंचकर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिसने लगातार नौ वर्षों तक अपनी रैंक में सुधार किया है। इसके विशिष्ट जनसांख्यिकीय लाभ, तकनीकी कौशल और इनोवेशन की ललक, ये सब Fourth Industrial Revolution technologies के बड़े अवसरों के साथ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था, राजनीति और रणनीतिक मामलों में भारत की ताकत को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 

इस बात को जानते हुए कि Great Power बनने की शुरुआत घर से होती है, भारत ने अपनी विकास की महत्वाकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, आधारभूत संरचना में अभूतपूर्व सुधार किए हैं। Business Regulations  को आसान करने का असर भारत में साफ तौर पर दिख रहा है। वर्ल्ड बैंक की Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत की 65 स्थानों की छलांग एक बेहतर कारोबारी माहौल और निवेशकों के विश्वास को प्रदर्शित करती है।

भारत में पिछले एक दशक के दौरान स्टार्ट-अप्स कंपनियों का काफी विस्तार हुआ है, जो डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन रिटेल, एजुकेशन और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में Innovation कर रही हैं। भारत में Unicorns यानि एक बिलियन डॉलर मार्केट वैल्यू वाली कंपनियों की संख्या भी हर साल बढ़ी है। इसके अलावा, पिछले एक दशक में Single-Brand Retail क्षेत्र में सबसे बड़े उदारीकरण को देखते हुए, सरकार ने हाल ही में बगैर बिजनेस सेंटर खोले, कंपनियों को भारत में ऑनलाइन सामान बेचने की अनुमति दी है। यह इस क्षेत्र की वैश्विक कंपनियों के लिए घरेलू बाजार में कारोबार के लिए बड़ा मौका लेकर आया है।  इसके अलावा, GST द्वारा कर बाधाओं को समाप्त कर विभिन्न केंद्रीय और राज्य टैक्स कानूनों को एकीकृत किया गया है, जो एक Single Common Market का निर्माण करता है।

समावेशी विकास के साथ आर्थिक प्रगति भी हो, इसे सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ भारत ने सामाजिक क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति की है। Unique Identification Authority के तहत बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली के विस्तार ने सरकारी सेवाओं की डिलीवरी को सुव्यवस्थित किया है। इसने कल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से संसाधनों के वितरण को स्ट्रीमलाइन किया है।  एक अरब से अधिक लोगों का डेटाबेस तैयार करना बहुत बड़ी बात है। 

इसके अलावा, Financial Inclusion Programme के तहत जन धन योजना के माध्यम से 300 मिलियन यानि 30 करोड़ लोगों को बैंक से जोड़ा गया है। इससे उन्हें औपचारिक बैकिंग व्यवस्था से जोड़कर उनके लिए ऋण के साथ सरकारी सब्सिडी सीधे खाते में देने की व्यवस्था की गई है। 

यहां यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए आयुष्मान भारत योजना है, Energy Efficiency बढ़ाने के लिए LED प्रोग्राम है, ग्रामीण विद्युतीकरण की व्यापक मुहिम के साथ उज्ज्वला और सौभाग्य जैसी योजनाएं हैं। यह एक ऐसे रिफॉर्म एजेंडा को लागू करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है, जो विकास के लिए देश की जरूरतों के साथ-साथ वैश्विक आकांक्षाओं से तालमेल बिठाने में सक्षम है।

भारत के पास वैश्विक एजेंडा को आकार देने का एक अनूठा अवसर है। इन अवसरों को भुनाकर भारत स्वयं को दुनिया के लिए एक रोल मॉडल और प्रेरणा के रूप में स्थापित कर सकता है।

भारत को Holistic Structural Reforms की ओर अपनी यात्रा जारी रखनी चाहिए, जो अर्थव्यवस्था की स्थिरता और उसके लचीलेपन के अनुकूल हो। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक सेवाओं और विकसित अर्थव्यवस्था वाली कनेक्टिविटी से लैस हो। यह सब कुछ ऐसा हो, जो युवाओं की आकांक्षाओं पर खरा उतरने के साथ गरीबी उन्मूलन में भी सहायक हो। Regenerative, Inclusive और Sustainable अर्थव्यवस्था से प्रेरित Policy solutions यह सुनिश्चित करेंगे कि 10 ट्रिलियन डॉलर की लक्षित अर्थव्यवस्था, वैश्विक, राष्ट्रीय और जमीनी स्तर पर एक मजबूत भारत के साथ मेल खाता हो, जिसमें हर किसी के लिए अवसर हो। 

विभिन्न भाषाओं, बोलियों, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक प्रथाओं वाले, 130 करोड़ से अधिक लोगों वाले देश में, उस व्यापक बदलाव के पैमाने को प्राप्त करना एक बड़ी बात होगी। लेकिन अपने वृहद् भौगोलिक और जनसांख्यिकीय स्वरूप के साथ व्यापक विविधता वाले भारत के पास वैश्विक एजेंडा को आकार देने का एक अनूठा अवसर है। इस अवसर को भुनाकर भारत स्वयं को दुनिया के लिए एक रोल मॉडल और प्रेरणा के रूप में स्थापित कर सकता है। यह हमारे सामूहिक भविष्य के हित में है। भारत अपनी प्रभावी क्षमताओं का इस्तेमाल कर दुनिया को एक ऐसा  मॉडल प्रदान कर सकता है, जिसमें वैश्विक चुनौतियों का समाधान हो। भारत इस दिशा में एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभर सकता है।


(बोर्गे ब्रेंड विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष और मैनेजिंग बोर्ड के सदस्य हैं।)

ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेन्द्र  मोदी ऐप इससे सहमत हो।
January 21, 2020

immortality is a big curse

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*सिकन्दर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!*

*दुनियाँ भर को जीतने के जो उसने आयोजन किए, वह अमृत की तलाश के लिए ही थे !*

*काफी दिनों तक देश दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार सिकन्दर ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति होती !*

*वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहाँ अमृत का झरना था, वह आनन्दित हो गया !*

👉 *जन्म-जन्म की आकांक्षा पूरी होने का क्षण आ गया, उसके सामने ही अमृत जल कल - कल करके बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक कौआ 🦅जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना...!’*

 *सिकन्दर ने🦅कौवे की तरफ देखा!*

*बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह कौआ.🦅!*

*पंख झड़ गए थे, पँजे गिर गए  थे, अंधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था !*

*सिकन्दर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’*

🦅 *कौवे ने उत्तर दिया, ‘मेरी कहानी सुन लो...मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !*

🦅 *अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... !*
🦅 *देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पंख झड़ गए हैं, उड़ नहीं सकता, पैर गल गए हैं, एक बार मेरी ओर देख लो फिर उसके बाद यदि इच्छा हो तो अवश्य अमृत पी लेना!*

🦅 *देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीख रहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !*

🦅 *अब प्रार्थना कर रहा हूँ  परमात्मा से कि प्रभु मुझे मार डालो !*

🦅 *मेरी एक ही आकांक्षा है कि किसी तरह मर जाऊँ !*

🦅 *इसलिए सोच लो एक बार, फिर जो इच्छा हो वो करना.’!*

🦅 *कहते हैं कि सिकन्दर  सोचता रहा....बड़ी देर तक.....!*

*आखिर उसकी उम्र भर की तलाश थी अमृत !*💧

*उसे भला ऐसे कैसे छोड़ देता !*

 *सोचने के बाद फिर चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !*

 *सिकन्दर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द ✨उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं!*

*इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये !*
*जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिये !*
❣🥀 *हमेशा खुश रहिये ?*❣🥀

दुनियां में सिकन्दर कोई नहीं वक्त सिकन्दर होता है
January 21, 2020

The Pride and Pain

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Nivedita Bhide

…Even in present times, the contribution of India is Yoga, Ayurveda etc. However, what is Ayurveda? It is a holistic way of treatment in which the human, as a whole, is taken into account.’ Thus, I had talked in some of the lectures. How wrong I was! But, to know that, I had to fall sick for months. Though I was recovering steadily, it was felt by others in my organization that I must also have some Ayurvedic treatment. Tired of hospitals, I went rather unwillingly for the treatment in Kerala at Ottapalam.  

The next morning, we met the chief physician Dr. Sethumadhavan, an unassuming person. He told the line of treatment. I was told to take head-bath everyday morning at 5.00 AM in cold water even though I am a pneumonitis patient and have some issues with the lungs. A bit worried, I had a cold-water bath at 5:00 AM. As I finished my exercises, the doctor came and told us that, every day, the doctors in the hospital chant first chapter of Ashtangahridayam of Sri Vagbhatacharya and if I want, I can join. Meera and I decided to go for the same.
 
Ayurveda is mainly for living a healthy and purposeful life in which the four objectives Dharma, Artha, Kama, Moksha are accomplished.
 
For the first time, I got the opportunity to read a book on Ayurveda and listen to the discussions and instructions of Dr. Sethumadhavan to his junior doctors. That is when I felt tremendous pride about Ayurveda and intense pain about its condition today in India. As the days passed, it only increased and so, I thought of sharing it with others.  
 
The Pride
First, an introduction to the book Ashtangahridayam – It is written by Vagbhatacharya integrating all the works that were available on Ayurveda in his times. He was from Sindhu Desha and came down to Kerala where he taught this tradition of eight angas of treatment to eighteen families in Kerala. That is how the Ashtavaidya Parampara started in Kerala. 

Ashtangahridayam has six parts having a total of one hundred and twenty chapters. The first part called Sutrasthana is considered as his masterpiece. Vagbhatacharya, though a great physician, also appears to be a poet par excellence. I was thrilled by the first Shloka of the Sutrasthana. Even after two months, I am still wondering about various insights that Shloka gives.  It says
रागादिरोगान्  सततानुषक्तान् अशेषकायप्रसृतानशेषान्
औत्सुक्यमोहारतिदान् जघान योऽपूर्ववैद्याय नमोऽस्तु तस्मै II
The literal meaning is – Homage be to that Pioneer Physician who eliminated entire diseases such as ‘Raga’ (Attachment) etc., which ever shadows life, which are an integral part of living beings and which are causes for autsukya (anxiety), moha (confusion), and arati (restlessness)
What is the purpose of Ayurveda? Vagbhatacharya says,
आयु: कामयमानेन धर्मार्थसुखसाधनम्
आयुर्वेदोपदेशेषु विधेय: परमादर: II
One who seeks life for the fulfillment of Purusharthas (The four objectives of life) should extremely respect and abide by the norms of Ayurveda.
 
The real duty of Vaidya is to promote health and not just to treat diseases.
 
Thus, Ayurveda is not for treating the diseases, though, of course, if diseases come then the Ayurveda tells how to remove those. But Ayurveda is mainly for living a healthy and purposeful life in which the four objectives Dharma, Artha, Kama, Moksha are accomplished. But for that one should follow the norms of Ayurveda with complete Shraddha.
The real duty of Vaidya is to promote health and not just to treat diseases. It seems King Bimbisara had appointed one Vaidya for every four hundred people. The duty of the Vaidya was to see that no one falls sick. In case, someone fell sick, that Vaidya would lose his profession and at times, even life.

The Pain
Our heritage gives us an important shastra like Ayurveda for leading life full of health, contribution and achievement of four purusharthas. However, the great pain I felt is that the knowledge Ayurveda gives us is not utilized to its full potential. Today, in the pursuit of materialistic goals, society has confined Ayurveda only to a spa in big hotels. Parents do not aspire that their children should become Ayurvedacharyas. Only if they do not get admissions in MBBS they turn to Ayurveda. Suppose if government separates the entrance tests to Ayurveda from MBBS, student will hardly appear for them.
All the basic texts of Ayurveda are in Sanskrit and so Sanskrit is taught in the first year. However, the tragedy is most of the students ignore further study of Sanskrit and resort only to reading of the translations of these texts and miss the insight into it. I could see some of the fresh graduates in Ayurveda could not even read the ‘Ashtangahridayam’ properly.

A substantial portion of allopathy, is included in the MD course of Ayurveda with a purpose that the Ayurveda doctor should be able to understand the reports of his patient, whatever treatments he has undergone and what medication he is having. Taking all this into account, he should treat him. But this purpose is lost and the knowledge of allopathy is used by the Ayurveda doctors to prescribe allopathic drugs. What a tragedy! A patient goes to an Ayurveda doctor to get wholesome treatment but he is further given doses of allopathic medicines. Society needs to be sensitized to seek governmental interventions so that Ayurveda is again established with its pristine glory.
 
Just imagine a picture of India where everyone is exuding health, happiness, and purposefulness in life. It is such a Bharat that we want to see! It is such a Bharat which can really fulfill the dream of Swami Vivekananda, of Bharat guiding the world in spirituality.
 
The Grand Vision
If our country has to contribute to the world, the right way of living, then Yoga and Ayurveda should be in our life. Just imagine a picture of all Indians following the injunctions of Yoga and Ayurveda in our country. In the morning, before Sunrise, all are up and doing Yogasanas and Pranayama. Everyone radiates health and calmness that comes from the practice of Yoga and Ayurveda. The unique prayer ‘Sarve Bhavantu Sukhinah…Sarve Santu Niramayah-  Let all be happy and let all be without any disease or discomfort’ that is chanted in our country would really be seen in action.  The prayer would cease to be mere well-wishing but would be the vision that is translated into action. Our rishis never did just well-wishing, they also gave Ayurveda shastra for ‘सर्वे सन्तु निरामयाः’.
We chant Sarve Santu Niramayah almost all over the country, but for it to work, Ayurveda is to be taken to the future generation. This will ensure the wellness of at least 80% of the population.

Most Ayurveda texts are written in Sanskrit & hence can we encourage students to learn Ayurveda in Sanskrit. English translation often results in distortion of meaning of what needs to be taught.

To reinstate Ayurveda to its true glory, we also need students who are passionate about Ayurveda.

When I was Ottapalam behind our room in the hospital, there was a berry tree and many birds used to come there. A number of birds only seen in the pictures or some even beyond imagination revealed themselves to us as we kept watching the tree regularly. I felt it was very indicative of what was happening to my little bit of study of Ayurveda. Ayurveda as Upaveda revealed itself to me.

As some focus has come onto Yoga because of International Day of Yoga, we need to focus on Ayurveda too. Just imagine a picture of India where everyone is exuding health, happiness, and purposefulness in life. It is such a Bharat that we want to see! It is such a Bharat which can really fulfill the dream of Swami Vivekananda, of Bharat guiding the world in spirituality. 
(Nivedita Bhide is a social worker. She is the Vice President of Vivekananda Kendra, Kanyakumari.)
December 05, 2017

Sikander Valuable Story

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*सिकन्दर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!*

*दुनियाँ भर को जीतने के जो उसने आयोजन किए, वह अमृत की तलाश के लिए ही थे !*

*काफी दिनों तक देश दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार सिकन्दर ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति होती !*

*वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहाँ अमृत का झरना था, वह आनन्दित हो गया !*

👉 *जन्म-जन्म की आकांक्षा पूरी होने का क्षण आ गया, उसके सामने ही अमृत जल कल - कल करके बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक कौआ 🦅जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना...!’*

 *सिकन्दर ने🦅कौवे की तरफ देखा!*

*बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह कौआ.🦅!*

*पंख झड़ गए थे, पँजे गिर गए  थे, अंधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था !*

*सिकन्दर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’*

🦅 *कौवे ने उत्तर दिया, ‘मेरी कहानी सुन लो...मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !*

🦅 *अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... !*
🦅 *देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पंख झड़ गए हैं, उड़ नहीं सकता, पैर गल गए हैं, एक बार मेरी ओर देख लो फिर उसके बाद यदि इच्छा हो तो अवश्य अमृत पी लेना!*

🦅 *देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीख रहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !*

🦅 *अब प्रार्थना कर रहा हूँ  परमात्मा से कि प्रभु मुझे मार डालो !*

🦅 *मेरी एक ही आकांक्षा है कि किसी तरह मर जाऊँ !*

🦅 *इसलिए सोच लो एक बार, फिर जो इच्छा हो वो करना.’!*

🦅 *कहते हैं कि सिकन्दर  सोचता रहा....बड़ी देर तक.....!*

*आखिर उसकी उम्र भर की तलाश थी अमृत !*💧

*उसे भला ऐसे कैसे छोड़ देता !*

 *सोचने के बाद फिर चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !*

 *सिकन्दर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द ✨उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं!*

*इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये !*
*जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिये !*
❣🥀 *हमेशा खुश रहिये ?*❣🥀

दुनियां में सिकन्दर कोई नहीं वक्त सिकन्दर होता है
November 18, 2017
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 क्या आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा सोचता है "क्या होगा अगर ......? क्या हो अगर……? क्या होगा अगर ......? "क्या होगा अगर मैं अपना सपना काम पाने में असफल हो? अगर मैं इतने समय में इतना पैसा कमाऊंगा तो क्या होगा? अगर मैं अपनी आने वाली परीक्षाओं को साफ करने में विफल रहा तो क्या होगा? अगर मेरे कार्यालय में आज की प्रस्तुति गलत हो जाए तो क्या होगा? क्या होगा अगर .................. आपका डर बिंदु ............ ..? यदि हां, तो यह  आपके लिए है।

अगर आपके पास ऐसे प्रश्न हैं तो ठीक है, एक बात यह है कि आपको "असफलता का डर" कहा जाने वाला एक गंभीर बीमारी है! ओह! तुम क्या कह रहे हो? हां हम सही हैं लेकिन आप चिंता मत करो हमारे पास आपके लिए एक समाधान है

असफलता का डर आपके अंदर जहर है जो आपको बीमार बना देता है, जो हर क्षण आपको मारता है, जो आपकी महत्वाकांक्षाओं को कम करता है, हमेशा आपको कमजोर महसूस करने देता है, जो हमेशा आपको नई चीजों का प्रयास करने से रोकता है, जो आपको कमजोर बनाता है, जो आपकी शक्ति को कम करता है और इस डर के नुकसान की सूची कभी खत्म नहीं होती ...

लेकिन एक बात निश्चित है। हम सभी को किसी क्षेत्र या किसी अन्य में असफलताओं से डर लगता है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक स्वस्थ "दुर्बल जीवन" में विफलता के डर को दूर करना है।

विफलता के डर पर काबू पाने के लिए, आपको पहले खुद का परीक्षण करना होगा और अपने आप को पता होना चाहिए कि आप विफलता से क्यों डरते हैं? क्या ये आपकी महत्वाकांक्षाएं जीवन में एक निश्चित स्तर पर पहुंचती हैं, आपकी ज़िम्मेदारी ज़िंदगी या सिर्फ तुम्हारी आदत है? आप अपने खुद के सबसे अच्छे न्यायाधीश हैं क्योंकि कोई आपको अपने आप से बेहतर नहीं जानता है इसके साथ आपकी मदद करने के लिए, हमने "असफलता का डर" के कुछ लक्षण एकत्र किए हैं:

"विफलता का डर" के लक्षण


हम सोचते हैं कि दूसरे लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे अगर मैं ऐसा करने में असफल रहता हूं।

मुझे लगता है कि अगर मैं इस अवसर को खो देता हूं तो हमारा कैरियर खराब होगा

हम मानते हैं कि विफलता के बाद लोग हमारे ऊपर अपना विश्वास खो देंगे

हम अक्सर वित्तीय असुरक्षा महसूस करते हैं

हमें लगता है कि हम नीच हैं और अन्य सभी हमारे लिए श्रेष्ठ हैं

जो भी हम कर रहे हैं, हम हमेशा इस बारे में सोचें कि क्या यह काम गलत हो गया है।

इसलिए, "विफलता का डर" कभी भी आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की सुविधा नहीं देता। इससे डरने से पहले डरने से पहले डरने में डरने में बहुत ज़रूरी है।
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आपके लिए कुछ मार्गदर्शिकाएं हैं जो निश्चित रूप से आपके "असफलता का डर" (यह भी हकदार हैं!) को थप्पड़ मारेंगे और सफलता के लिए अविश्वसनीय तरीके से प्रशस्त करेंगे:


# 1 आप असफल होने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं

ध्यान दो! आप इस ग्रह पर अकेले नहीं हैं जो असफल रहे इस श्रेणी में आपके बहुत से वरिष्ठ नागरिक हैं! तो, एक विफलता के लिए अपने आप को कभी दोष नहीं है इसके बजाय इसके बारे में जानें उन लोगों से जानें, जो आपके की तुलना में कई गुना विफल हुए हैं लेकिन अभी भी एक इतिहास बना दिया है हमारे विचार में, कोई प्रेरणा थॉमस एडिशन से बड़ा नहीं हो सकती है जो बल्ब को नया रूप देने में 10,000 बार विफल हो गई थी। आज हम सभी के पास उस व्यक्ति की वजह से सिर्फ अंधेरे में प्रकाश है।

# 2 एक घटना का अंत जीवन का अंत नहीं है

यह हम सभी के जीवन में होता है कि एक दुःस्वप्न होता है और हमें लगता है कि सब कुछ अब खत्म हो गया है। लेकिन हमें यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि जीवन एक लंबी यात्रा है और इसमें कई घटनाएं हैं जो इसके भीतर समापित होती हैं। कुछ अच्छे हैं जबकि कुछ खराब हैं एक घटना में एक दु: ख हो सकता है, लेकिन एक घटना का अंत जीवन के अंत में नहीं है। तो, एक एकल घटना के साथ अटक नहीं है। इसे पारित करें और अपने लक्ष्य को उन नए कार्यक्रमों पर रखें जो जीवन आपको हर बार प्रदान करता है यदि आप अपना दिमाग खोलते हैं।

# 3 कोई मौका आखिरी मौका नहीं है

क्या आपने अपना सपना नौकरी खो दिया था या आपकी परीक्षा में प्रथम रैंक नहीं मिला या कुछ अन्य मौकों को हासिल करने में विफल रहे! डोंट वोर्री! आपके पास एक और मौका होगा। और हम वचन देते हैं कि आप आभारी होंगे कि आपने अपना पिछला मौका खो दिया है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब लोग अपने कैरियर को आकाश में उड़ने देते थे, क्योंकि वे एक महान मौका चूक गए थे। यह सबसे अच्छा उदाहरण है व्हाट्सएप संस्थापक, जो एक बार फेसबुक और ट्विटर पर नौकरी पाने में नाकाम रहे और बाद में फेसबुक और ट्विटर मुख्यालय में नौकरी पाने में नाकाम रहने के कारण वोट्स के संस्थापक व्हाट्सएप की स्थापना के जरिए अरबपति बने। नौकरी पाने के लिए व्हाट्सएप के संस्थापकों की विफलता के कारण विश्व में व्हाट्सएप है!

नौकरी पाने के लिए व्हाट्सएप के संस्थापकों की विफलता के कारण विश्व में व्हाट्सएप है!

# 4 बकवास लोगों को थप्पड़

जब हम जीवन में किसी भी क्षण में विफल होते हैं, तो एक बात निश्चित होती है। जो लोग हमारे काम के बारे में कुछ नहीं जानते हैं वे हमारे बारे में टिप्पणी करेंगे! बस उन बकवास लोगों को थप्पड़ मारना उन्हें बताएं कि वे बल्ब जो प्रयोग कर रहे हैं, उनके संस्थापक थॉमस एडिशन की 10,000 विफलताओं का परिणाम है; जिस iPhone का उपयोग कर रहे हैं वह स्टीव जॉब्स द्वारा बनाई गई थी जिसे एक बार अपनी कंपनी से निकाल दिया गया था। उन्हें अपना मुंह बंद कर दें और आपसे पहले कभी खुली न हों!

एक बार मौका आपके डर को कम करते हैं, आपकी सफलता का रास्ता लाल सिग्नल के बिना होगा


इसलिए, असफलता पर आतंक न करें का आनंद लें! यदि आप इसे आनंद लेते हैं, तो थॉमस संस्करण के बाद आपका अगला नाम होगा! और हां, लाइव जीवन को खुश करो!

यदि आपके पास "असफलता के डर को थप्पड़" करने के लिए और अधिक सुझाव दिए गए हैं, तो कृपया "Comment" बटन पर क्लिक करके या अपनी टिप्पणियों के द्वारा हमें बताएं!

November 15, 2017

What If Nobody Likes You?

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यह असामान्य लोगों के साथ बहुत आम है क्योंकि मुझे भी लगभग हर दिन एक ही बात का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि कोई भी आपको पसंद नहीं करता है, वास्तव में आप दुनिया को इस तरह देखते हैं और दुनिया आपको लगती है जैसा कि सोचते है

यद्यपि मैं यहां उत्तर दे रहा हूं, लेकिन मैं आपको एक सवाल पूछना चाहता हूं जो आपको हर बार अपने आप से पूछने की ज़रूरत होती है आपको लगता है कि कोई भी आपको पसंद नहीं करता है, और यह प्रश्न होना चाहिए की "क्या मैं खुद को पसंद करता हूं?"

अगर आपका जवाब "हां" है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि आपको ऐसा ही होना चाहिए, लेकिन यदि जवाब "नहीं" है तो आपको अपने विचारों को फिर से पॉलिश करने की ज़रूरत है या आप जिस तरह से सोचते हैं, क्योंकि अगर आप नहीं अपने आप की तरह, फिर कौन करेगा?


और आखिरी बात "खुद को पहचानो", आप दूसरों के लिए नहीं खुद के लिए कीमती हैं!
November 11, 2017

Some Etiquette with Dinner

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डिनर सिर्फ खाना खाने तक की बात नहीं है. डिनर के साथ कुछ एटिकेट्स भी जुड़े हैं. खाना खाने के दौरान कुछ मैनर्स फौलो करने होते हैं. इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन सी बातों का डिनर पार्टी में ख्याल रखना चाहिए.  डिनर पार्टी में कभी भी देर से न जाएं. कि सी जरूरी काम की वजह से देर हो भी जाती है तो फोन करके अपने लेट होने की खबर दे दें. ताकि आपके इंतजार में सारी पार्टी का मजा किरकिरा न हो जाए डाइनिंग टेबल पर बैठने के साथ ही आपको डाइनिंग एटिकेट्स के बारे में ध्यान देना चाहिए.

सबसे पहले नैपकिन को खोल कर अपने पैरों पर बिछाएं. उसके बाद डिनर लें. न ज्यादा तेज-तेज खाना खाएं और न बहुत धीरे. टेबल पार्टनर की स्पीड के हिसाब से ही खाना खाएं. खाना खत्म करने के बाद उठने से पहले नैपकिन को फोल्ड करें और अपनी प्लेट के पास रख दें. ज्यादा स्पून्स का यूज न करें जितनी जरूरत हो उतनी ही लें. खाना खत्म करने के बाद चम्मच उल्टा करके प्लेट में रख दें. टेबल पर बैठे हर मेम्बर को जब तक खाना सर्व न हो जाए, तब तक खाना न शुरू करें. बहुत ज्यादा बातें न करें, हल्के-फुल्के कमेंट जरूर पास कर सकते हैं. बहस वाले टॉपिक बिल्कुल न छेडे़ं. 




अपनी होस्टेस के लिए फूलों का तोहफा जरूर ले जाएं. फूल उनको अट्रैक्ट भी करेंगे और वो उन्हें खुशी से एक्सेप्ट भी कर लेंगी. पार्टी में किसी गुमसुम बैठे इंसान के साथ बातें करना आपकी बेहतर छवि बना सकता है.  डिनर के बाद होस्टेस टी या कॉफी के लिए आपको दूसरे रूम में इन्वाइट करे तो उसे फौलो करें. डिनर के बाद अगर कुछ गेम रखे गए हों तो उसमें पार्टिसिपेट करें. विदाई के वक्त जब होस्टेस आपको दरवाजे तक कंपनी देने आए तो लंबी बातें न करें. क्योंकि उसे सभी गेस्ट्स को अटेन्ड करना है. जाने से पहले होस्टेस को थैंक्स और लवली शाम की मुबारकबाद जरूर दें
October 31, 2017

Dosti kaa Ehsas

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हर किसी के जीवन में कई दोस्त हो सकते हैं, लेकिन सच्चे दोस्त बहुत गिनती के होते हैं, वे बहुत ज्यादा होते हैं। एक सच्चा दोस्त आपको बेहतर ढंग से समझता है। वह  कि आपकी सभी कमजोरी और ताकत  और आपकी सभी सफलता और असफलता को जानता है। सच्चा दोस्त आपके साथ मजाक कर सकता है,
लेकिन जब भी आप उसे या उसकी मदद की ज़रूरत है वह आधी रात में आपके लिए तैयार हो जाता है।



सच्चे मित्र सभी भावनाओं, क्षणों, विचारों और मूर्खतापूर्ण चीजों को साझा करते हैं जो वे महसूस करते हैं या आनंद लेते हैं। वे उन भावनाओं को एक साथ अनुभव करते हैं जो हर विचारों को किसी भी वास्तविक या मूर्ख विचार से साझा करते हैं, जो कि वे किसी अन्य व्यक्ति के साथ व्यक्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे वहां सच्चे दोस्तों के साथ साझा करते हैं। और वे जीवन की परम भावना महसूस करते हैं वे हिम्मत के साथ मूर्खता की चीजे करते हैं और वास्तव में उस का आनंद लेते हैं।


कई बार गलत्फेमी के कारण सच्ची दोस्ती टूट जाती है, इसलिए हर बात साफ़ साफ़ बोले और कुछ छिपाए ना अगर आपको लगता है की गलतफेमि की वजह से आपकी दोस्ती टूट सकती है तो इसको आपस में बात करके दूर करे। तीसररा व्यक्ति भी आपकी दोस्ती का फायदा उठा सकतता हैं और आपकी गलतफेमि का फायेदा उठा सकता हैं। आपको बहुत स्पष्ट रूप से बात करने की ज़रूरत है बेकार की गलत फेमि के कारण अपने सच्चे दोस्तों को जाने मत देना।



क्योंकि सच्चे दोस्त बहुत करीबी होते हैं इसलिए कुछ व्यक्ति आपको यह दिखा सकते है  कि वे आपके सच्चे दोस्त हैं, लेकिन वास्तव में वे नहीं हैं। इसलिए सावधान व्यक्ति बनो, जैसे की वे बहुत ही स्वार्थी हैं, वे अपका हाथ को बीच में ही छोड़ देते हैं। जब आप अपने सच्चे दोस्त चुनते हैं तो उनका न्याय न करें कि वह कैसा दिखता है  या वह कितना कूल है लोगो का दिल को समझे वह कितना सच्चा है और  आपके बारे में कितना देखभाल करता है

और कृपया कुछ बेवकूफ व्यक्ति के कारण अपनी दोस्ती के एहसास को न मरने दे।
August 16, 2017

हम भी राम बन सकते हैं

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बच्चो, आपका फेवॅरिट त्योहार दशहरा आ चुका है। मुझे मालूम है कि इसका आप लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं, क्योंकि आपको रामलीला जो देखना होता है! कितनी तालियां पीटते हैं हम लोग, जब रामायण सीरियल या रामलीला पंडालों में राम के हाथों रावण मारा जाता है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे! बच्चो, यदि हम रामायण के कुछ प्रसंगों से कुछ सीख लें, तो हम भी राम की तरह महान बन सकते हैं।

क्षमाशील होते हैं वीर
लंका पर चढाई करने से पहले रावण अपने कई राक्षस गुप्तचरों को राम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनके पास भेजता है। गुप्तचर पकडे भी जाते हैं। लेकिन राम उन्हें क्षमा कर देते हैं। लक्ष्मण द्वारा पूछने पर राम बताते हैं कि जो व्यक्ति क्षमाशील होते हैं, वे ही वीर होते हैं। कायर या डरपोक व्यक्ति कभी भी दूसरे व्यक्ति की गलतियों को क्षमा नहीं करता है। दोस्तो, हमारे आस-पास भी ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं, जिनका व्यवहार और विचार हमें अच्छा नहीं लगता है। लेकिन हमें उन पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें क्षमा करने की कोशिश करनी चाहिए! संभव हो कि उस व्यक्ति में और कई अच्छे गुण भी मौजूद हों। इसलिए यदि बच्चो आपको राम जैसा बनना है, तो हमें क्रोधित होने के बजाय संबंधित व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए।

करें लोगों की मदद
बच्चो, हमने रामायण में देखा कि राम जहां एक ओर, राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर, सुग्रीव जैसे जरूरतमंद और गरीब शबरी की सहायता भी राम ही करते हैं। बच्चो आप भी जरूरतमंदों की जरूर मदद करें। यदि आपके किसी दोस्त को आपकी छोटी-मोटी मदद जैसे -कॉपी-किताब आदि की जरूरत पडे, तो उन्हें जरूर दें। यदि आपके आसपास गरीब बच्चे रहते हैं, तो पढने-लिखने में उनकी मदद करें।

मिल-जुल कर करें काम
बच्चो, हम सभी जानते हैं कि राम बहुत वीर योद्धा थे। वे चाहते, तो अकेले ही रावण को युद्ध में हरा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने लंका तक सेतु बनाने और रावण तथा उसकी सेना से युद्ध करने में वानरों, यहां तक कि एक नन्हीं गिलहरी की भी सहायता ली। क्या आपको इससे कुछ सीख मिली? जी हां, आप कोई भी काम करें, तो सभी यार-दोस्तों के साथ मिलकर करें। जैसे-यदि आपको अपने आस-पास की हरियाली बढाने के लिए पेड लगाना है, तो स्वयं के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी पेड लगाने को कहें। जरा सोचिए, यदि सभी दोस्त मिलकर पेड लगाएंगे, तो धरती पर पेडों की संख्या कितनी अधिक हो जाएगी? इसलिए कहा भी गया है कि सभी ऊंगलियां मिलती हैं, तो मुठ्ठी बनती है और तभी हम अपनी ताकत का इजहार करते हैं।


न पालें घमंड
हम रामायण सीरियल में देखते हैं कि रावण बहुत पराक्रमी था। वह न केवल बलवान और वीर था, बल्कि विद्वान भी था। साथ ही साथ, वह घमंडी भी था। उसे अपने वीर होने का बहुत घमंड था। वह सोचता था कि दुनिया में उसके समान कोई दूसरा वीर नहीं है, जो उसे युद्ध में पराजित कर सके! लेकिन राम ने उसे युद्ध में पराजित कर दिया। बच्चो, आप भी कभी यह घमंड न पालें कि सदा आप ही अपनी क्लास में फ‌र्स्ट आते रहेंगे, या किसी खेल में आप ही चैंपियन होंगे! हो सकता है कि घमंड में आपका ध्यान पढाई या खेल से हट जाए! इसलिए बच्चो अपने ऊपर गर्व जरूर करें, लेकिन घमंड नहीं।

जिद न करें
रामायण की कहानियों में हम देखते हैं कि दशरथ की तीन रानियों में एक रानी कैकेयी थीं। वे परम वीर महिला थीं। बच्चो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने अपने पति राजा दशरथ से अपनी मांग मनवाने की जिद कर बैठीं। उन्होंने यह मांग भी की कि राम को वनवास मिले और भरत को राजगद्दी। उनकी इस जिद के कारण, एक ओर राजा दशरथ की मृत्यु हो गई, तो दूसरी ओर, राम-सीता और लक्ष्मण को वन जाना पडा! बच्चो कभी-कभी आप लोग भी किसी गलत मांग को लेकर जिद कर बैठते हैं। ऐसा करने से न केवल आपका नुकसान होता है, बल्कि इससे आपके मम्मी-पापा भी दुखी हो जाते हैं। जैसे आप दूसरों की देखा-देखी महंगे मोबाइल खरीदने का जिद अपने पापा-मम्मी से कर बैठते हैं। यह सही नहीं है, क्योंकि मोबाइल आपकी पढाई में बाधा पहुंचा सकता है, आपका रिजल्ट खराब हो सकता है। इसलिए बच्चो, यदि आप रामायण के डायलॉग का अनुकरण करते हैं, तो रामायण के हीरो राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को अपनाने की बात भी सोचें।

जे.जे.डेस्क

बच्चो, रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे। यदि उनके जीवन से कुछ सीख ली जाए, तो हम भी उनकी तरह वीर, साहसी और अच्छे इनसान कहला सकते हैं। लेकिन कैसे?

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