Come Here For Refreshment by Reading Some Good Articles.

December 05, 2017

Sikander Valuable Story

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*सिकन्दर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!*

*दुनियाँ भर को जीतने के जो उसने आयोजन किए, वह अमृत की तलाश के लिए ही थे !*

*काफी दिनों तक देश दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार सिकन्दर ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति होती !*

*वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहाँ अमृत का झरना था, वह आनन्दित हो गया !*

👉 *जन्म-जन्म की आकांक्षा पूरी होने का क्षण आ गया, उसके सामने ही अमृत जल कल - कल करके बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक कौआ 🦅जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना...!’*

 *सिकन्दर ने🦅कौवे की तरफ देखा!*

*बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह कौआ.🦅!*

*पंख झड़ गए थे, पँजे गिर गए  थे, अंधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था !*

*सिकन्दर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’*

🦅 *कौवे ने उत्तर दिया, ‘मेरी कहानी सुन लो...मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !*

🦅 *अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... !*
🦅 *देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पंख झड़ गए हैं, उड़ नहीं सकता, पैर गल गए हैं, एक बार मेरी ओर देख लो फिर उसके बाद यदि इच्छा हो तो अवश्य अमृत पी लेना!*

🦅 *देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीख रहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !*

🦅 *अब प्रार्थना कर रहा हूँ  परमात्मा से कि प्रभु मुझे मार डालो !*

🦅 *मेरी एक ही आकांक्षा है कि किसी तरह मर जाऊँ !*

🦅 *इसलिए सोच लो एक बार, फिर जो इच्छा हो वो करना.’!*

🦅 *कहते हैं कि सिकन्दर  सोचता रहा....बड़ी देर तक.....!*

*आखिर उसकी उम्र भर की तलाश थी अमृत !*💧

*उसे भला ऐसे कैसे छोड़ देता !*

 *सोचने के बाद फिर चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !*

 *सिकन्दर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द ✨उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं!*

*इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये !*
*जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिये !*
❣🥀 *हमेशा खुश रहिये ?*❣🥀

दुनियां में सिकन्दर कोई नहीं वक्त सिकन्दर होता है
November 18, 2017
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 क्या आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा सोचता है "क्या होगा अगर ......? क्या हो अगर……? क्या होगा अगर ......? "क्या होगा अगर मैं अपना सपना काम पाने में असफल हो? अगर मैं इतने समय में इतना पैसा कमाऊंगा तो क्या होगा? अगर मैं अपनी आने वाली परीक्षाओं को साफ करने में विफल रहा तो क्या होगा? अगर मेरे कार्यालय में आज की प्रस्तुति गलत हो जाए तो क्या होगा? क्या होगा अगर .................. आपका डर बिंदु ............ ..? यदि हां, तो यह  आपके लिए है।

अगर आपके पास ऐसे प्रश्न हैं तो ठीक है, एक बात यह है कि आपको "असफलता का डर" कहा जाने वाला एक गंभीर बीमारी है! ओह! तुम क्या कह रहे हो? हां हम सही हैं लेकिन आप चिंता मत करो हमारे पास आपके लिए एक समाधान है

असफलता का डर आपके अंदर जहर है जो आपको बीमार बना देता है, जो हर क्षण आपको मारता है, जो आपकी महत्वाकांक्षाओं को कम करता है, हमेशा आपको कमजोर महसूस करने देता है, जो हमेशा आपको नई चीजों का प्रयास करने से रोकता है, जो आपको कमजोर बनाता है, जो आपकी शक्ति को कम करता है और इस डर के नुकसान की सूची कभी खत्म नहीं होती ...

लेकिन एक बात निश्चित है। हम सभी को किसी क्षेत्र या किसी अन्य में असफलताओं से डर लगता है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक स्वस्थ "दुर्बल जीवन" में विफलता के डर को दूर करना है।

विफलता के डर पर काबू पाने के लिए, आपको पहले खुद का परीक्षण करना होगा और अपने आप को पता होना चाहिए कि आप विफलता से क्यों डरते हैं? क्या ये आपकी महत्वाकांक्षाएं जीवन में एक निश्चित स्तर पर पहुंचती हैं, आपकी ज़िम्मेदारी ज़िंदगी या सिर्फ तुम्हारी आदत है? आप अपने खुद के सबसे अच्छे न्यायाधीश हैं क्योंकि कोई आपको अपने आप से बेहतर नहीं जानता है इसके साथ आपकी मदद करने के लिए, हमने "असफलता का डर" के कुछ लक्षण एकत्र किए हैं:

"विफलता का डर" के लक्षण


हम सोचते हैं कि दूसरे लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे अगर मैं ऐसा करने में असफल रहता हूं।

मुझे लगता है कि अगर मैं इस अवसर को खो देता हूं तो हमारा कैरियर खराब होगा

हम मानते हैं कि विफलता के बाद लोग हमारे ऊपर अपना विश्वास खो देंगे

हम अक्सर वित्तीय असुरक्षा महसूस करते हैं

हमें लगता है कि हम नीच हैं और अन्य सभी हमारे लिए श्रेष्ठ हैं

जो भी हम कर रहे हैं, हम हमेशा इस बारे में सोचें कि क्या यह काम गलत हो गया है।

इसलिए, "विफलता का डर" कभी भी आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की सुविधा नहीं देता। इससे डरने से पहले डरने से पहले डरने में डरने में बहुत ज़रूरी है।
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आपके लिए कुछ मार्गदर्शिकाएं हैं जो निश्चित रूप से आपके "असफलता का डर" (यह भी हकदार हैं!) को थप्पड़ मारेंगे और सफलता के लिए अविश्वसनीय तरीके से प्रशस्त करेंगे:


# 1 आप असफल होने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं

ध्यान दो! आप इस ग्रह पर अकेले नहीं हैं जो असफल रहे इस श्रेणी में आपके बहुत से वरिष्ठ नागरिक हैं! तो, एक विफलता के लिए अपने आप को कभी दोष नहीं है इसके बजाय इसके बारे में जानें उन लोगों से जानें, जो आपके की तुलना में कई गुना विफल हुए हैं लेकिन अभी भी एक इतिहास बना दिया है हमारे विचार में, कोई प्रेरणा थॉमस एडिशन से बड़ा नहीं हो सकती है जो बल्ब को नया रूप देने में 10,000 बार विफल हो गई थी। आज हम सभी के पास उस व्यक्ति की वजह से सिर्फ अंधेरे में प्रकाश है।

# 2 एक घटना का अंत जीवन का अंत नहीं है

यह हम सभी के जीवन में होता है कि एक दुःस्वप्न होता है और हमें लगता है कि सब कुछ अब खत्म हो गया है। लेकिन हमें यह समझने में सक्षम होना चाहिए कि जीवन एक लंबी यात्रा है और इसमें कई घटनाएं हैं जो इसके भीतर समापित होती हैं। कुछ अच्छे हैं जबकि कुछ खराब हैं एक घटना में एक दु: ख हो सकता है, लेकिन एक घटना का अंत जीवन के अंत में नहीं है। तो, एक एकल घटना के साथ अटक नहीं है। इसे पारित करें और अपने लक्ष्य को उन नए कार्यक्रमों पर रखें जो जीवन आपको हर बार प्रदान करता है यदि आप अपना दिमाग खोलते हैं।

# 3 कोई मौका आखिरी मौका नहीं है

क्या आपने अपना सपना नौकरी खो दिया था या आपकी परीक्षा में प्रथम रैंक नहीं मिला या कुछ अन्य मौकों को हासिल करने में विफल रहे! डोंट वोर्री! आपके पास एक और मौका होगा। और हम वचन देते हैं कि आप आभारी होंगे कि आपने अपना पिछला मौका खो दिया है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब लोग अपने कैरियर को आकाश में उड़ने देते थे, क्योंकि वे एक महान मौका चूक गए थे। यह सबसे अच्छा उदाहरण है व्हाट्सएप संस्थापक, जो एक बार फेसबुक और ट्विटर पर नौकरी पाने में नाकाम रहे और बाद में फेसबुक और ट्विटर मुख्यालय में नौकरी पाने में नाकाम रहने के कारण वोट्स के संस्थापक व्हाट्सएप की स्थापना के जरिए अरबपति बने। नौकरी पाने के लिए व्हाट्सएप के संस्थापकों की विफलता के कारण विश्व में व्हाट्सएप है!

नौकरी पाने के लिए व्हाट्सएप के संस्थापकों की विफलता के कारण विश्व में व्हाट्सएप है!

# 4 बकवास लोगों को थप्पड़

जब हम जीवन में किसी भी क्षण में विफल होते हैं, तो एक बात निश्चित होती है। जो लोग हमारे काम के बारे में कुछ नहीं जानते हैं वे हमारे बारे में टिप्पणी करेंगे! बस उन बकवास लोगों को थप्पड़ मारना उन्हें बताएं कि वे बल्ब जो प्रयोग कर रहे हैं, उनके संस्थापक थॉमस एडिशन की 10,000 विफलताओं का परिणाम है; जिस iPhone का उपयोग कर रहे हैं वह स्टीव जॉब्स द्वारा बनाई गई थी जिसे एक बार अपनी कंपनी से निकाल दिया गया था। उन्हें अपना मुंह बंद कर दें और आपसे पहले कभी खुली न हों!

एक बार मौका आपके डर को कम करते हैं, आपकी सफलता का रास्ता लाल सिग्नल के बिना होगा


इसलिए, असफलता पर आतंक न करें का आनंद लें! यदि आप इसे आनंद लेते हैं, तो थॉमस संस्करण के बाद आपका अगला नाम होगा! और हां, लाइव जीवन को खुश करो!

यदि आपके पास "असफलता के डर को थप्पड़" करने के लिए और अधिक सुझाव दिए गए हैं, तो कृपया "Comment" बटन पर क्लिक करके या अपनी टिप्पणियों के द्वारा हमें बताएं!

November 15, 2017

What If Nobody Likes You?

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यह असामान्य लोगों के साथ बहुत आम है क्योंकि मुझे भी लगभग हर दिन एक ही बात का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि कोई भी आपको पसंद नहीं करता है, वास्तव में आप दुनिया को इस तरह देखते हैं और दुनिया आपको लगती है जैसा कि सोचते है

यद्यपि मैं यहां उत्तर दे रहा हूं, लेकिन मैं आपको एक सवाल पूछना चाहता हूं जो आपको हर बार अपने आप से पूछने की ज़रूरत होती है आपको लगता है कि कोई भी आपको पसंद नहीं करता है, और यह प्रश्न होना चाहिए की "क्या मैं खुद को पसंद करता हूं?"

अगर आपका जवाब "हां" है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, बल्कि आपको ऐसा ही होना चाहिए, लेकिन यदि जवाब "नहीं" है तो आपको अपने विचारों को फिर से पॉलिश करने की ज़रूरत है या आप जिस तरह से सोचते हैं, क्योंकि अगर आप नहीं अपने आप की तरह, फिर कौन करेगा?


और आखिरी बात "खुद को पहचानो", आप दूसरों के लिए नहीं खुद के लिए कीमती हैं!
November 11, 2017

Some Etiquette with Dinner

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डिनर सिर्फ खाना खाने तक की बात नहीं है. डिनर के साथ कुछ एटिकेट्स भी जुड़े हैं. खाना खाने के दौरान कुछ मैनर्स फौलो करने होते हैं. इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन सी बातों का डिनर पार्टी में ख्याल रखना चाहिए.  डिनर पार्टी में कभी भी देर से न जाएं. कि सी जरूरी काम की वजह से देर हो भी जाती है तो फोन करके अपने लेट होने की खबर दे दें. ताकि आपके इंतजार में सारी पार्टी का मजा किरकिरा न हो जाए डाइनिंग टेबल पर बैठने के साथ ही आपको डाइनिंग एटिकेट्स के बारे में ध्यान देना चाहिए.

सबसे पहले नैपकिन को खोल कर अपने पैरों पर बिछाएं. उसके बाद डिनर लें. न ज्यादा तेज-तेज खाना खाएं और न बहुत धीरे. टेबल पार्टनर की स्पीड के हिसाब से ही खाना खाएं. खाना खत्म करने के बाद उठने से पहले नैपकिन को फोल्ड करें और अपनी प्लेट के पास रख दें. ज्यादा स्पून्स का यूज न करें जितनी जरूरत हो उतनी ही लें. खाना खत्म करने के बाद चम्मच उल्टा करके प्लेट में रख दें. टेबल पर बैठे हर मेम्बर को जब तक खाना सर्व न हो जाए, तब तक खाना न शुरू करें. बहुत ज्यादा बातें न करें, हल्के-फुल्के कमेंट जरूर पास कर सकते हैं. बहस वाले टॉपिक बिल्कुल न छेडे़ं. 




अपनी होस्टेस के लिए फूलों का तोहफा जरूर ले जाएं. फूल उनको अट्रैक्ट भी करेंगे और वो उन्हें खुशी से एक्सेप्ट भी कर लेंगी. पार्टी में किसी गुमसुम बैठे इंसान के साथ बातें करना आपकी बेहतर छवि बना सकता है.  डिनर के बाद होस्टेस टी या कॉफी के लिए आपको दूसरे रूम में इन्वाइट करे तो उसे फौलो करें. डिनर के बाद अगर कुछ गेम रखे गए हों तो उसमें पार्टिसिपेट करें. विदाई के वक्त जब होस्टेस आपको दरवाजे तक कंपनी देने आए तो लंबी बातें न करें. क्योंकि उसे सभी गेस्ट्स को अटेन्ड करना है. जाने से पहले होस्टेस को थैंक्स और लवली शाम की मुबारकबाद जरूर दें
October 31, 2017

Dosti kaa Ehsas

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हर किसी के जीवन में कई दोस्त हो सकते हैं, लेकिन सच्चे दोस्त बहुत गिनती के होते हैं, वे बहुत ज्यादा होते हैं। एक सच्चा दोस्त आपको बेहतर ढंग से समझता है। वह  कि आपकी सभी कमजोरी और ताकत  और आपकी सभी सफलता और असफलता को जानता है। सच्चा दोस्त आपके साथ मजाक कर सकता है,
लेकिन जब भी आप उसे या उसकी मदद की ज़रूरत है वह आधी रात में आपके लिए तैयार हो जाता है।



सच्चे मित्र सभी भावनाओं, क्षणों, विचारों और मूर्खतापूर्ण चीजों को साझा करते हैं जो वे महसूस करते हैं या आनंद लेते हैं। वे उन भावनाओं को एक साथ अनुभव करते हैं जो हर विचारों को किसी भी वास्तविक या मूर्ख विचार से साझा करते हैं, जो कि वे किसी अन्य व्यक्ति के साथ व्यक्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे वहां सच्चे दोस्तों के साथ साझा करते हैं। और वे जीवन की परम भावना महसूस करते हैं वे हिम्मत के साथ मूर्खता की चीजे करते हैं और वास्तव में उस का आनंद लेते हैं।


कई बार गलत्फेमी के कारण सच्ची दोस्ती टूट जाती है, इसलिए हर बात साफ़ साफ़ बोले और कुछ छिपाए ना अगर आपको लगता है की गलतफेमि की वजह से आपकी दोस्ती टूट सकती है तो इसको आपस में बात करके दूर करे। तीसररा व्यक्ति भी आपकी दोस्ती का फायदा उठा सकतता हैं और आपकी गलतफेमि का फायेदा उठा सकता हैं। आपको बहुत स्पष्ट रूप से बात करने की ज़रूरत है बेकार की गलत फेमि के कारण अपने सच्चे दोस्तों को जाने मत देना।



क्योंकि सच्चे दोस्त बहुत करीबी होते हैं इसलिए कुछ व्यक्ति आपको यह दिखा सकते है  कि वे आपके सच्चे दोस्त हैं, लेकिन वास्तव में वे नहीं हैं। इसलिए सावधान व्यक्ति बनो, जैसे की वे बहुत ही स्वार्थी हैं, वे अपका हाथ को बीच में ही छोड़ देते हैं। जब आप अपने सच्चे दोस्त चुनते हैं तो उनका न्याय न करें कि वह कैसा दिखता है  या वह कितना कूल है लोगो का दिल को समझे वह कितना सच्चा है और  आपके बारे में कितना देखभाल करता है

और कृपया कुछ बेवकूफ व्यक्ति के कारण अपनी दोस्ती के एहसास को न मरने दे।
August 16, 2017

हम भी राम बन सकते हैं

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बच्चो, आपका फेवॅरिट त्योहार दशहरा आ चुका है। मुझे मालूम है कि इसका आप लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं, क्योंकि आपको रामलीला जो देखना होता है! कितनी तालियां पीटते हैं हम लोग, जब रामायण सीरियल या रामलीला पंडालों में राम के हाथों रावण मारा जाता है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे! बच्चो, यदि हम रामायण के कुछ प्रसंगों से कुछ सीख लें, तो हम भी राम की तरह महान बन सकते हैं।

क्षमाशील होते हैं वीर
लंका पर चढाई करने से पहले रावण अपने कई राक्षस गुप्तचरों को राम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनके पास भेजता है। गुप्तचर पकडे भी जाते हैं। लेकिन राम उन्हें क्षमा कर देते हैं। लक्ष्मण द्वारा पूछने पर राम बताते हैं कि जो व्यक्ति क्षमाशील होते हैं, वे ही वीर होते हैं। कायर या डरपोक व्यक्ति कभी भी दूसरे व्यक्ति की गलतियों को क्षमा नहीं करता है। दोस्तो, हमारे आस-पास भी ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं, जिनका व्यवहार और विचार हमें अच्छा नहीं लगता है। लेकिन हमें उन पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें क्षमा करने की कोशिश करनी चाहिए! संभव हो कि उस व्यक्ति में और कई अच्छे गुण भी मौजूद हों। इसलिए यदि बच्चो आपको राम जैसा बनना है, तो हमें क्रोधित होने के बजाय संबंधित व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए।

करें लोगों की मदद
बच्चो, हमने रामायण में देखा कि राम जहां एक ओर, राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर, सुग्रीव जैसे जरूरतमंद और गरीब शबरी की सहायता भी राम ही करते हैं। बच्चो आप भी जरूरतमंदों की जरूर मदद करें। यदि आपके किसी दोस्त को आपकी छोटी-मोटी मदद जैसे -कॉपी-किताब आदि की जरूरत पडे, तो उन्हें जरूर दें। यदि आपके आसपास गरीब बच्चे रहते हैं, तो पढने-लिखने में उनकी मदद करें।

मिल-जुल कर करें काम
बच्चो, हम सभी जानते हैं कि राम बहुत वीर योद्धा थे। वे चाहते, तो अकेले ही रावण को युद्ध में हरा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने लंका तक सेतु बनाने और रावण तथा उसकी सेना से युद्ध करने में वानरों, यहां तक कि एक नन्हीं गिलहरी की भी सहायता ली। क्या आपको इससे कुछ सीख मिली? जी हां, आप कोई भी काम करें, तो सभी यार-दोस्तों के साथ मिलकर करें। जैसे-यदि आपको अपने आस-पास की हरियाली बढाने के लिए पेड लगाना है, तो स्वयं के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी पेड लगाने को कहें। जरा सोचिए, यदि सभी दोस्त मिलकर पेड लगाएंगे, तो धरती पर पेडों की संख्या कितनी अधिक हो जाएगी? इसलिए कहा भी गया है कि सभी ऊंगलियां मिलती हैं, तो मुठ्ठी बनती है और तभी हम अपनी ताकत का इजहार करते हैं।


न पालें घमंड
हम रामायण सीरियल में देखते हैं कि रावण बहुत पराक्रमी था। वह न केवल बलवान और वीर था, बल्कि विद्वान भी था। साथ ही साथ, वह घमंडी भी था। उसे अपने वीर होने का बहुत घमंड था। वह सोचता था कि दुनिया में उसके समान कोई दूसरा वीर नहीं है, जो उसे युद्ध में पराजित कर सके! लेकिन राम ने उसे युद्ध में पराजित कर दिया। बच्चो, आप भी कभी यह घमंड न पालें कि सदा आप ही अपनी क्लास में फ‌र्स्ट आते रहेंगे, या किसी खेल में आप ही चैंपियन होंगे! हो सकता है कि घमंड में आपका ध्यान पढाई या खेल से हट जाए! इसलिए बच्चो अपने ऊपर गर्व जरूर करें, लेकिन घमंड नहीं।

जिद न करें
रामायण की कहानियों में हम देखते हैं कि दशरथ की तीन रानियों में एक रानी कैकेयी थीं। वे परम वीर महिला थीं। बच्चो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने अपने पति राजा दशरथ से अपनी मांग मनवाने की जिद कर बैठीं। उन्होंने यह मांग भी की कि राम को वनवास मिले और भरत को राजगद्दी। उनकी इस जिद के कारण, एक ओर राजा दशरथ की मृत्यु हो गई, तो दूसरी ओर, राम-सीता और लक्ष्मण को वन जाना पडा! बच्चो कभी-कभी आप लोग भी किसी गलत मांग को लेकर जिद कर बैठते हैं। ऐसा करने से न केवल आपका नुकसान होता है, बल्कि इससे आपके मम्मी-पापा भी दुखी हो जाते हैं। जैसे आप दूसरों की देखा-देखी महंगे मोबाइल खरीदने का जिद अपने पापा-मम्मी से कर बैठते हैं। यह सही नहीं है, क्योंकि मोबाइल आपकी पढाई में बाधा पहुंचा सकता है, आपका रिजल्ट खराब हो सकता है। इसलिए बच्चो, यदि आप रामायण के डायलॉग का अनुकरण करते हैं, तो रामायण के हीरो राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को अपनाने की बात भी सोचें।

जे.जे.डेस्क

बच्चो, रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे। यदि उनके जीवन से कुछ सीख ली जाए, तो हम भी उनकी तरह वीर, साहसी और अच्छे इनसान कहला सकते हैं। लेकिन कैसे?
August 16, 2017

कैसे क्रैक करें एग्जाम

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Point Out It For Your Exams



रात को नींद नहीं आती? और अगर आती भी है, तो पेपर खराब होने या परीक्षा हॉल में देर से पहुंचने के सपने भी आते हैं? कभी-कभी ऐसा भी होता होगा कि किताबों के बीच बैठे-बैठे सर चकराने लगता है और पढते समय सिर भारी होने लगता है?..कुछ समझ में ही नहीं आता..कि क्या करें, क्या न करें? अगर ऐसा हो रहा है, कोई बात नहीं..। क्योंकि अक्सर स्टूडेंट्स के साथ ऐसा तब होता है, जब एग्जाम में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हों और डेट शीट आ चुकी हो।

दरअसल, यही है एग्जामिनेशन फोबिया, जिससे न केवल स्टूडेंट्स, बल्कि उनके पेरेंट्स भी परेशान रहते हैं। इससे कैसे बचा जाए और किस तरह से इस डर को दूर भगाया जाए, इसके लिए आइए जानते हैं कुछ आसान टिप्स :
एग्जाम कोई हौव्वा नहीं

सबसे पहले यह जान लें कि एग्जाम कोई डरावनी चीज नहीं है। क्योंकि इसे आप शुरू से क्लास दर क्लास देते ही चले आ रहे हैं। इसलिए इससे डरना कैसा ! इसका इतना हाइप क्यों बना रखा है? और वैसे भी हर रोज कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में आप अपने को प्रूव करते ही रहते हैं, इसलिए अपने को एक बार फिर से प्रूव करें.., उसी आत्मविश्वास के साथ।

जब होने लगे घबराहट..
परीक्षा से कुछ दिन पहले जब घबराहट होने लगे या तैयारी के नाम पर पेट दर्द की शिकायत हो, तो इसका मतलब यही है कि खान-पान पर थोडा ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन इसका
मतलब यह भी नहीं है कि आप बहुत ज्यादा मात्रा में खाना शुरू कर दें। इसके लिए जरूरी है कि पौष्टिक खाना, सही तरीके से और सही समय पर खाया जाए। इस संबंध में डॉ. सीमा मलिक का कहना है कि बच्चों को कई बार पढते-पढते खाते रहने की आदत होती है। इसे कंट्रोल करने के लिए आप लोगों को नमकीन, सैंडविच या तली-भुनी चीजों के बजाय फ्रूट्स व अन्य पौष्टिक चीजें खाने की आदत डालनी चाहिए। अपने पास प्लेट में अंगूर या सेब रखें और बीच-बीच में खाते रहें। अगर मीठा खाने को दिल करे, तो गाजर या आंवले का मुरब्बा या फिर कभी-कभी पेठे जैसी मिठाई खा लें। क्योंकि इससे पेट में गैस नहीं बनती और चक्कर आने या दिल घबराने जैसे लक्षणों से भी बचा जा सकता है। इस दौरान सिलेबस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट व फूड मैनेजमेंट पर भी ध्यान देना जरूरी है।

जब किताबों से लगे डर.
जब सामने ढेर सारी किताबें पडी हों और उन्हें देखकर डर लग रहा हो, तो इसका मतलब है कि संतुलन बिगड रहा है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले अपने आसपास से फालतू किताबों को हटाएं और तय करें कि किस विषय में आपको ज्यादा तैयारी की जरूरत है ! उस विषय की किताबों में से सिर्फ उन्हीं चुनिंदा किताबों को अपने पास रखें, जिनसे आपको प्रैक्टिस करनी है।

रिवीजन टाइम
रिवीजन करते समय टेस्ट पेपर्स को घडी देखकर सॉल्व करें और जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं आ रहे हैं, उन्हें एक पेपर पर नोट कर लें। फिर पेपर सॉल्व करने के बाद टेक्स्ट बुक की मदद से उसे सॉल्व करें।




जब लगे कि कुछ नहीं आता..
अक्सर इन दिनों दिमाग अचानक जैसे ब्लैक आउट- सा हो जाता है और लगता है कि सब कुछ भूल गए हैं। ऐसी स्थिति में एक घंटे के लिए किताबें एक तरफ रख दें और अपनी पसंद का काम करें, जैसे-म्यूजिक सुनें या घूमने चले जाएं, पर सिर्फ कुछ समय के लिए। उसके बाद वापस आकर अपने पढने की जगह पर बैठें और किसी एक चैप्टर का चुनाव करते हुए आंखें बंद करके यह सोचें कि इस चैप्टर से पहले चैप्टर में क्या था, दूसरे में क्या था और तीसरे में क्या था इत्यादि ! अंत तक आप इस नतीजे पर खुद ही पहुंच जाएंगे कि आपको कितना कुछ आता है। इससे आपका सेल्फ-कॉन्फिडेंस भी बढेगा और आपको लगेगा कि बस अब सिर्फ एक बार कोर्स दोहराने की जरूरत है।

जब लगे कि टाइम कम है..
बहुत बार ऐसा लगता है कि अभी बहुत कुछ करना है, पर साथ ही ऐसा अहसास भी होता है कि समय नहीं बचा है, इस खयाल को दिल से निकाल दीजिए। क्योंकि आपने पूरे साल पढाई की है और रोज स्कूल भी जाते रहे हैं। बस अब जरूरत है थोडे सिस्टमेटिक होने की। टाइम मैनेजमेंट सीखिए और सोचिए कि किस विषय को ज्यादा टाइम देने की जरूरत है ! फिर उसी हिसाब से अपने टाइम को बांटिए और पढना शुरू कर दीजिए। बस देखिए कि तैयारी अपने आप होती चली जाएगी और समय की कमी बिल्कुल महसूस नहीं होगी।

जब स्टडी रूम डरावना लगे..
पढते-पढते अक्सर ऐसा होता है कि हम उस कमरे से ऊब जाते हैं, जहां घंटों बैठकर पढते हैं। ऐसे में जरूरी है कि स्टडी रूम के माहौल में थोडा बदलाव लाएं। कमरे को एक नया लुक देने की कोशिश करें। सुंदर से फ्लॉवर पॉट में ताजे फूल अपने सामने सजाइए और बिस्तर पर नई चादर बिछाइए। किताबों को सिस्टमेटिक तरीके से सजा कर रखिए और हो सके, तो दीवार पर एक बोर्ड लगाएं और उस पर हर रोज लिखें कि आज आपको क्या करना है !

क्या करें, क्या न करें
पेरेंट्स कहते हैं कि ढेर सारी पढाई करो, टीचर्स कहते हैं कि टीवी मत देखो, काउंसलर्स कहते हैं कि बेकार मत घूमो, पर इन सबकी सुनने के साथ-साथ अपने मन की भी सुनो। उस मन की, जो आपको बता रहा है कि अब आपको कुछ करके दिखाना है, वह मन, जो आपको कई बार बताता है कि फोन पर बातें करके आपने दो घंटे बर्बाद कर दिए। कभी-कभी मन यह भी चेता देता है कि नेट पर चैटिंग से कुछ भी हाथ नहीं लगा। बाद में अपराध बोध होने से कुछ नहीं होगा। बस, ऐसी स्थिति में जरूरी है दिमाग में बजती घंटी की आवाज को सुनना ।

कंसन्ट्रेशन की कमी 
जब पढते-पढते ध्यान भटक जाए, तो इसका मतलब है कि विषय को समझने में या तो कुछ कठिनाई है या फिर आप कुछ और करना चाहते हैं। ऐसे में एक कॉपी में उस विषय में आने वाली कठिनाइयों को लिखते जाएं। बाद में किताबों से या अध्यापकों की मदद से उसे हल करें। पढते वक्त बीच-बीच में आंखें बंद करके थोडा रिलैक्स करें या फिर याद किए गए चैप्टर्स को लिखकर दोहराएं। लंबी गहरी सांसें लें और खुद को बताएं कि आप बहुत कुछ कर सकते हैं। बस, सब कुछ याद आता चला जाएगा और पढने में ध्यान लगने लगेगा।

अनीता वर्मा
(अध्यापिका व रिसोर्स पर्सन, टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम्स) 


एग्जाम, एग्जाम, एग्जाम.. बस आजकल आप पर यही हौव्वा सवार है। लेकिन दोस्त, एग्जाम को लेकर इतना तनावग्रस्त होने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि आप भी दूर रह सकते हैं ,एग्जामिनेशन फोबिया से..
एग्जाम की तैयारी


आजकल जिसे देखो, एग्जाम की ही बात करता है। कोई एक्स्ट्रा असाइनमेंट के लिए ओवरटाइम टयूशन या कोचिंग कर रहा है, तो कोई क्लास नोट्स व टेक्स्टबुक को ही दोहराने में लगा हुआ है। प्री-बोर्ड्स की तैयारी की इस घडी में ज्यादातर स्टूडेंट्स परफॉर्मेस एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं। कहीं तुम्हारे साथ भी यही समस्या तो नहीं? अगर ऐसा है, तो कुछ स्ट्रेटेजी तो अपनानी पडेगी, ताकि न सिर्फ तुम टेंशन-फ्री होकर एग्जाम दे सको, बल्कि अच्छे मार्क्स प्राप्त कर सको।

परीक्षा की तैयारी के लिए कोई जरूरी नहीं कि 10 से 12 घंटे रोज दिए जाएं। जरूरी यह है कि अच्छे अंक पाने के लिए ढंग से पढाई की जाए। खासतौर से समय को देखते हुए तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि अब कुछ ही महीने बचे हैं। अब एक-एक पल कीमती है। अभी की मेहनत ही आगे करियर की दिशा तय करेगी।

बोर्ड परीक्षा का रिहर्सल
प्री-बोर्ड्स को एक तरह से बोर्ड परीक्षा का रिहर्सल कह सकते हैं। सच पूछो, तो रिहर्सल का महत्व सबसे अधिक एक कलाकार ही समझ सकता है, क्योंकि वह अपने फन में चाहे कितना ही माहिर क्यों न हो, स्टेज पर परफॉर्म करने से पहले रिहर्सल जरूर करता है।
एग्जाम की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जाती है, स्टूडेंट्स के मन में घबराहट बढ़ने लगती है। अधिकांश स्टूडेंट्स से पूछो, तो एक ही बात सामने आती है कि अभी तो सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। लेकिन इस बात को लेकर तनावग्रस्त होने के बजाय एक स्ट्रैटेजी बनाकर एग्जाम की तैयारी करनी चाहिए। कैसे? आओ जानते हैं

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