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August 16, 2017

हम भी राम बन सकते हैं

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बच्चो, आपका फेवॅरिट त्योहार दशहरा आ चुका है। मुझे मालूम है कि इसका आप लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं, क्योंकि आपको रामलीला जो देखना होता है! कितनी तालियां पीटते हैं हम लोग, जब रामायण सीरियल या रामलीला पंडालों में राम के हाथों रावण मारा जाता है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे! बच्चो, यदि हम रामायण के कुछ प्रसंगों से कुछ सीख लें, तो हम भी राम की तरह महान बन सकते हैं।

क्षमाशील होते हैं वीर
लंका पर चढाई करने से पहले रावण अपने कई राक्षस गुप्तचरों को राम के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनके पास भेजता है। गुप्तचर पकडे भी जाते हैं। लेकिन राम उन्हें क्षमा कर देते हैं। लक्ष्मण द्वारा पूछने पर राम बताते हैं कि जो व्यक्ति क्षमाशील होते हैं, वे ही वीर होते हैं। कायर या डरपोक व्यक्ति कभी भी दूसरे व्यक्ति की गलतियों को क्षमा नहीं करता है। दोस्तो, हमारे आस-पास भी ऐसे कई व्यक्ति मौजूद हैं, जिनका व्यवहार और विचार हमें अच्छा नहीं लगता है। लेकिन हमें उन पर गुस्सा करने के बजाए उन्हें क्षमा करने की कोशिश करनी चाहिए! संभव हो कि उस व्यक्ति में और कई अच्छे गुण भी मौजूद हों। इसलिए यदि बच्चो आपको राम जैसा बनना है, तो हमें क्रोधित होने के बजाय संबंधित व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए।

करें लोगों की मदद
बच्चो, हमने रामायण में देखा कि राम जहां एक ओर, राक्षसों से ऋषि-मुनियों की रक्षा करते हैं, वहीं दूसरी ओर, सुग्रीव जैसे जरूरतमंद और गरीब शबरी की सहायता भी राम ही करते हैं। बच्चो आप भी जरूरतमंदों की जरूर मदद करें। यदि आपके किसी दोस्त को आपकी छोटी-मोटी मदद जैसे -कॉपी-किताब आदि की जरूरत पडे, तो उन्हें जरूर दें। यदि आपके आसपास गरीब बच्चे रहते हैं, तो पढने-लिखने में उनकी मदद करें।

मिल-जुल कर करें काम
बच्चो, हम सभी जानते हैं कि राम बहुत वीर योद्धा थे। वे चाहते, तो अकेले ही रावण को युद्ध में हरा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने लंका तक सेतु बनाने और रावण तथा उसकी सेना से युद्ध करने में वानरों, यहां तक कि एक नन्हीं गिलहरी की भी सहायता ली। क्या आपको इससे कुछ सीख मिली? जी हां, आप कोई भी काम करें, तो सभी यार-दोस्तों के साथ मिलकर करें। जैसे-यदि आपको अपने आस-पास की हरियाली बढाने के लिए पेड लगाना है, तो स्वयं के साथ-साथ अपने दोस्तों को भी पेड लगाने को कहें। जरा सोचिए, यदि सभी दोस्त मिलकर पेड लगाएंगे, तो धरती पर पेडों की संख्या कितनी अधिक हो जाएगी? इसलिए कहा भी गया है कि सभी ऊंगलियां मिलती हैं, तो मुठ्ठी बनती है और तभी हम अपनी ताकत का इजहार करते हैं।


न पालें घमंड
हम रामायण सीरियल में देखते हैं कि रावण बहुत पराक्रमी था। वह न केवल बलवान और वीर था, बल्कि विद्वान भी था। साथ ही साथ, वह घमंडी भी था। उसे अपने वीर होने का बहुत घमंड था। वह सोचता था कि दुनिया में उसके समान कोई दूसरा वीर नहीं है, जो उसे युद्ध में पराजित कर सके! लेकिन राम ने उसे युद्ध में पराजित कर दिया। बच्चो, आप भी कभी यह घमंड न पालें कि सदा आप ही अपनी क्लास में फ‌र्स्ट आते रहेंगे, या किसी खेल में आप ही चैंपियन होंगे! हो सकता है कि घमंड में आपका ध्यान पढाई या खेल से हट जाए! इसलिए बच्चो अपने ऊपर गर्व जरूर करें, लेकिन घमंड नहीं।

जिद न करें
रामायण की कहानियों में हम देखते हैं कि दशरथ की तीन रानियों में एक रानी कैकेयी थीं। वे परम वीर महिला थीं। बच्चो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपनी दासी मंथरा के कहने पर उन्होंने अपने पति राजा दशरथ से अपनी मांग मनवाने की जिद कर बैठीं। उन्होंने यह मांग भी की कि राम को वनवास मिले और भरत को राजगद्दी। उनकी इस जिद के कारण, एक ओर राजा दशरथ की मृत्यु हो गई, तो दूसरी ओर, राम-सीता और लक्ष्मण को वन जाना पडा! बच्चो कभी-कभी आप लोग भी किसी गलत मांग को लेकर जिद कर बैठते हैं। ऐसा करने से न केवल आपका नुकसान होता है, बल्कि इससे आपके मम्मी-पापा भी दुखी हो जाते हैं। जैसे आप दूसरों की देखा-देखी महंगे मोबाइल खरीदने का जिद अपने पापा-मम्मी से कर बैठते हैं। यह सही नहीं है, क्योंकि मोबाइल आपकी पढाई में बाधा पहुंचा सकता है, आपका रिजल्ट खराब हो सकता है। इसलिए बच्चो, यदि आप रामायण के डायलॉग का अनुकरण करते हैं, तो रामायण के हीरो राम के जीवन के प्रेरक प्रसंगों को अपनाने की बात भी सोचें।

जे.जे.डेस्क

बच्चो, रावण को मार गिराने वाले राम भी हमारी और आपकी तरह आम इनसान थे। यदि उनके जीवन से कुछ सीख ली जाए, तो हम भी उनकी तरह वीर, साहसी और अच्छे इनसान कहला सकते हैं। लेकिन कैसे?
August 16, 2017

कैसे क्रैक करें एग्जाम

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Point Out It For Your Exams



रात को नींद नहीं आती? और अगर आती भी है, तो पेपर खराब होने या परीक्षा हॉल में देर से पहुंचने के सपने भी आते हैं? कभी-कभी ऐसा भी होता होगा कि किताबों के बीच बैठे-बैठे सर चकराने लगता है और पढते समय सिर भारी होने लगता है?..कुछ समझ में ही नहीं आता..कि क्या करें, क्या न करें? अगर ऐसा हो रहा है, कोई बात नहीं..। क्योंकि अक्सर स्टूडेंट्स के साथ ऐसा तब होता है, जब एग्जाम में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हों और डेट शीट आ चुकी हो।

दरअसल, यही है एग्जामिनेशन फोबिया, जिससे न केवल स्टूडेंट्स, बल्कि उनके पेरेंट्स भी परेशान रहते हैं। इससे कैसे बचा जाए और किस तरह से इस डर को दूर भगाया जाए, इसके लिए आइए जानते हैं कुछ आसान टिप्स :
एग्जाम कोई हौव्वा नहीं

सबसे पहले यह जान लें कि एग्जाम कोई डरावनी चीज नहीं है। क्योंकि इसे आप शुरू से क्लास दर क्लास देते ही चले आ रहे हैं। इसलिए इससे डरना कैसा ! इसका इतना हाइप क्यों बना रखा है? और वैसे भी हर रोज कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में आप अपने को प्रूव करते ही रहते हैं, इसलिए अपने को एक बार फिर से प्रूव करें.., उसी आत्मविश्वास के साथ।

जब होने लगे घबराहट..
परीक्षा से कुछ दिन पहले जब घबराहट होने लगे या तैयारी के नाम पर पेट दर्द की शिकायत हो, तो इसका मतलब यही है कि खान-पान पर थोडा ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन इसका
मतलब यह भी नहीं है कि आप बहुत ज्यादा मात्रा में खाना शुरू कर दें। इसके लिए जरूरी है कि पौष्टिक खाना, सही तरीके से और सही समय पर खाया जाए। इस संबंध में डॉ. सीमा मलिक का कहना है कि बच्चों को कई बार पढते-पढते खाते रहने की आदत होती है। इसे कंट्रोल करने के लिए आप लोगों को नमकीन, सैंडविच या तली-भुनी चीजों के बजाय फ्रूट्स व अन्य पौष्टिक चीजें खाने की आदत डालनी चाहिए। अपने पास प्लेट में अंगूर या सेब रखें और बीच-बीच में खाते रहें। अगर मीठा खाने को दिल करे, तो गाजर या आंवले का मुरब्बा या फिर कभी-कभी पेठे जैसी मिठाई खा लें। क्योंकि इससे पेट में गैस नहीं बनती और चक्कर आने या दिल घबराने जैसे लक्षणों से भी बचा जा सकता है। इस दौरान सिलेबस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट व फूड मैनेजमेंट पर भी ध्यान देना जरूरी है।

जब किताबों से लगे डर.
जब सामने ढेर सारी किताबें पडी हों और उन्हें देखकर डर लग रहा हो, तो इसका मतलब है कि संतुलन बिगड रहा है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले अपने आसपास से फालतू किताबों को हटाएं और तय करें कि किस विषय में आपको ज्यादा तैयारी की जरूरत है ! उस विषय की किताबों में से सिर्फ उन्हीं चुनिंदा किताबों को अपने पास रखें, जिनसे आपको प्रैक्टिस करनी है।

रिवीजन टाइम
रिवीजन करते समय टेस्ट पेपर्स को घडी देखकर सॉल्व करें और जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं आ रहे हैं, उन्हें एक पेपर पर नोट कर लें। फिर पेपर सॉल्व करने के बाद टेक्स्ट बुक की मदद से उसे सॉल्व करें।




जब लगे कि कुछ नहीं आता..
अक्सर इन दिनों दिमाग अचानक जैसे ब्लैक आउट- सा हो जाता है और लगता है कि सब कुछ भूल गए हैं। ऐसी स्थिति में एक घंटे के लिए किताबें एक तरफ रख दें और अपनी पसंद का काम करें, जैसे-म्यूजिक सुनें या घूमने चले जाएं, पर सिर्फ कुछ समय के लिए। उसके बाद वापस आकर अपने पढने की जगह पर बैठें और किसी एक चैप्टर का चुनाव करते हुए आंखें बंद करके यह सोचें कि इस चैप्टर से पहले चैप्टर में क्या था, दूसरे में क्या था और तीसरे में क्या था इत्यादि ! अंत तक आप इस नतीजे पर खुद ही पहुंच जाएंगे कि आपको कितना कुछ आता है। इससे आपका सेल्फ-कॉन्फिडेंस भी बढेगा और आपको लगेगा कि बस अब सिर्फ एक बार कोर्स दोहराने की जरूरत है।

जब लगे कि टाइम कम है..
बहुत बार ऐसा लगता है कि अभी बहुत कुछ करना है, पर साथ ही ऐसा अहसास भी होता है कि समय नहीं बचा है, इस खयाल को दिल से निकाल दीजिए। क्योंकि आपने पूरे साल पढाई की है और रोज स्कूल भी जाते रहे हैं। बस अब जरूरत है थोडे सिस्टमेटिक होने की। टाइम मैनेजमेंट सीखिए और सोचिए कि किस विषय को ज्यादा टाइम देने की जरूरत है ! फिर उसी हिसाब से अपने टाइम को बांटिए और पढना शुरू कर दीजिए। बस देखिए कि तैयारी अपने आप होती चली जाएगी और समय की कमी बिल्कुल महसूस नहीं होगी।

जब स्टडी रूम डरावना लगे..
पढते-पढते अक्सर ऐसा होता है कि हम उस कमरे से ऊब जाते हैं, जहां घंटों बैठकर पढते हैं। ऐसे में जरूरी है कि स्टडी रूम के माहौल में थोडा बदलाव लाएं। कमरे को एक नया लुक देने की कोशिश करें। सुंदर से फ्लॉवर पॉट में ताजे फूल अपने सामने सजाइए और बिस्तर पर नई चादर बिछाइए। किताबों को सिस्टमेटिक तरीके से सजा कर रखिए और हो सके, तो दीवार पर एक बोर्ड लगाएं और उस पर हर रोज लिखें कि आज आपको क्या करना है !

क्या करें, क्या न करें
पेरेंट्स कहते हैं कि ढेर सारी पढाई करो, टीचर्स कहते हैं कि टीवी मत देखो, काउंसलर्स कहते हैं कि बेकार मत घूमो, पर इन सबकी सुनने के साथ-साथ अपने मन की भी सुनो। उस मन की, जो आपको बता रहा है कि अब आपको कुछ करके दिखाना है, वह मन, जो आपको कई बार बताता है कि फोन पर बातें करके आपने दो घंटे बर्बाद कर दिए। कभी-कभी मन यह भी चेता देता है कि नेट पर चैटिंग से कुछ भी हाथ नहीं लगा। बाद में अपराध बोध होने से कुछ नहीं होगा। बस, ऐसी स्थिति में जरूरी है दिमाग में बजती घंटी की आवाज को सुनना ।

कंसन्ट्रेशन की कमी 
जब पढते-पढते ध्यान भटक जाए, तो इसका मतलब है कि विषय को समझने में या तो कुछ कठिनाई है या फिर आप कुछ और करना चाहते हैं। ऐसे में एक कॉपी में उस विषय में आने वाली कठिनाइयों को लिखते जाएं। बाद में किताबों से या अध्यापकों की मदद से उसे हल करें। पढते वक्त बीच-बीच में आंखें बंद करके थोडा रिलैक्स करें या फिर याद किए गए चैप्टर्स को लिखकर दोहराएं। लंबी गहरी सांसें लें और खुद को बताएं कि आप बहुत कुछ कर सकते हैं। बस, सब कुछ याद आता चला जाएगा और पढने में ध्यान लगने लगेगा।

अनीता वर्मा
(अध्यापिका व रिसोर्स पर्सन, टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम्स) 


एग्जाम, एग्जाम, एग्जाम.. बस आजकल आप पर यही हौव्वा सवार है। लेकिन दोस्त, एग्जाम को लेकर इतना तनावग्रस्त होने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि आप भी दूर रह सकते हैं ,एग्जामिनेशन फोबिया से..
एग्जाम की तैयारी


आजकल जिसे देखो, एग्जाम की ही बात करता है। कोई एक्स्ट्रा असाइनमेंट के लिए ओवरटाइम टयूशन या कोचिंग कर रहा है, तो कोई क्लास नोट्स व टेक्स्टबुक को ही दोहराने में लगा हुआ है। प्री-बोर्ड्स की तैयारी की इस घडी में ज्यादातर स्टूडेंट्स परफॉर्मेस एंग्जाइटी के शिकार हो जाते हैं। कहीं तुम्हारे साथ भी यही समस्या तो नहीं? अगर ऐसा है, तो कुछ स्ट्रेटेजी तो अपनानी पडेगी, ताकि न सिर्फ तुम टेंशन-फ्री होकर एग्जाम दे सको, बल्कि अच्छे मार्क्स प्राप्त कर सको।

परीक्षा की तैयारी के लिए कोई जरूरी नहीं कि 10 से 12 घंटे रोज दिए जाएं। जरूरी यह है कि अच्छे अंक पाने के लिए ढंग से पढाई की जाए। खासतौर से समय को देखते हुए तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि अब कुछ ही महीने बचे हैं। अब एक-एक पल कीमती है। अभी की मेहनत ही आगे करियर की दिशा तय करेगी।

बोर्ड परीक्षा का रिहर्सल
प्री-बोर्ड्स को एक तरह से बोर्ड परीक्षा का रिहर्सल कह सकते हैं। सच पूछो, तो रिहर्सल का महत्व सबसे अधिक एक कलाकार ही समझ सकता है, क्योंकि वह अपने फन में चाहे कितना ही माहिर क्यों न हो, स्टेज पर परफॉर्म करने से पहले रिहर्सल जरूर करता है।
एग्जाम की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जाती है, स्टूडेंट्स के मन में घबराहट बढ़ने लगती है। अधिकांश स्टूडेंट्स से पूछो, तो एक ही बात सामने आती है कि अभी तो सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। लेकिन इस बात को लेकर तनावग्रस्त होने के बजाय एक स्ट्रैटेजी बनाकर एग्जाम की तैयारी करनी चाहिए। कैसे? आओ जानते हैं

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