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फिर उड़ने की तमन्ना है..


गुड मॉर्निग

क्या मौसम है? कभी पारा हाई, कभी आंधी आई. कभी निकले पसीना तो कभी दिल कहे मुझे और है जीना. वाह! क्या तुकबंदी है! आई एम तो टू गुड. वैसे कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि मैं अगर चिड़िया होती तो कितना मजा आता. कितने गाने बने हैं पंछियों पर, जैसे- मैं बन की चिड़िया बन के बन-बन बोलूं रे..पंछी बनूं, उड़ती फिरूं मस्त गगन में, पंख होते तो उड़ आती रे.. वगैरह वगैरह..वगैरह..मतलब ये कि मेरा आइडिया ओरिजनल नहीं है. बहुत से लोग हैं जो पंछी बनना चाहते हैं, शायद आप भी. तो जी आज तो हमारी बात पंछी बनने पर ही होगी. सवाल ये है कि हम पंछी बनना क्यों चाहते हैं? जवाब है ना मेरे पास. किसे नहीं अच्छा लगता कि वो बिना बंधनों के आजादी महसूस करे. जो मन में आये, वो कर सके. चिंताओं से दूर रहे. हम सभी चाहते हैं एक स्ट्रेसफ्री लाइफ. पर स्ट्रेस भी आता कहां से है? हम से ही..घबराइये नहीं मैं आपको कोई लेक्चर नहीं देने वाली हूं. मैं तो आपको पंछी बनाने वाली हूं. आइये हम एक साथ उड़ान भरें.



सबसे पहले सुबह उठिये. आई मीन सुबह पांच बजे. घर में खुली जगह तो तलाशिये, वो आपका आंगन भी हो सकता है और बालकनी भी. बस, उस खुली जगह पर पहुंच जाइये और अपने दोनों हाथों को चिड़िया के पंखों की तरह फैला लीजिए, अपनी गर्दन को पीछे की ओर करिये ताकि आपकी नाक को ताजा अनइंट्रप्टेड एयर सप्लाई मिले. अब हल्के-हल्के उस ताजी हवा को इनहेल करिये और अपने हाथों को पंखों की तरह मूव करिये. ट्रस्ट मी, ये जो मैं आपको बता रही हूं ये कोई योगासन नहीं है, बल्कि लाइफ में फील गुड फैक्टर लाने वाला पंछी आसन है.

मेरे फील गुड तरीकों में एक और असरदार तरीका है. खुद से जोर-जोर बात करना. ये बातें आप अकेले नाइट वॉक करते हुए भी कर सकते हैं या फिर शीशे के आगे खड़े होकर भी. जगह अपनी सुविधा से चू़ज करिये. यकीन मानिये बहुत असरदार तरीका है यह. जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी, तब तो फ्रिक्वेंटली इसका यूज करती थी, पर अब टाइम थोड़ा कम मिलता है और वो भी देर रात तो मैं अपने भगवान जी के मंदिर में बैठकर उनसे ही वार्तालाप कर लेती हूं. पर उसके बाद बड़ी अच्छी रिलेक्स्ड फीलिंग आती है.



 एक और तरीका है मेरे पास जो आजकल मैंने अपनाया हुआ है. ढेर सारे यात्रा वीसीडीज खरीदकर लाई हूं और रात को सोने से पहले उन्हें देखती हूं. खूबसूरत पेड़, पहाड़, नदियां ये सब देखकर तरावट आ जाती है दिमाग में
वैसे एक छोटी सी बात तो रह ही गई. वो यह कि अपने आंसू पीना छोड़ दीजिए. गौर करिये बच्चे जब इरीटेटेड होते हैं, परेशान होते हैं तो जोर-जोर से रोते हैं ना और उसके बाद वो कितने मस्त हो जाते हैं. पर जब हम बड़े होने लगते हैं तो अपने आंसू छुपाने लगते हैं और अपनी जिंदगी खुद ही स्ट्रेसफुल बना लेते हैं. कुछ नहीं कर सकते हैं तो अकेले में खुलकर रो ही लीजिए दिल हल्का हो जायेगा और फिर नये सिरे से सोचना शुरू कर सकते हैं स्ट्रेस फ्री होकर.


ये कुछ मेरे तरीके हैं जो मैंने शेयर किये आपके साथ. आप अपने स्टाइल का तरीका अपना लीजिए और फिर मुझे बताइयेगा कि कौन सा तरीका सबसे असरदार रहा आपके लिए. अगली मुलाकात तक अपना ख्याल रखियेगा.


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